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Showing posts from 2018

जमाल खोसागजी हत्याकांड: सऊदी अरब-अमेरिका रिश्तों में खटास

सऊदी अरब का शेयर मार्केट रविवार को 7% गिर गया जिसका मतलब यह हुआ कि जितना भी इसने 2018 की शुरुआत में निवेशकों के लिए बनाया था, वह सब रविवार की बाजार में डूब गया। मूल कारण वाशिंगटन पोस्ट के स्तंभकार जमाल खोसागजी की टर्की के सऊदी दूतावास में एक मीटिंग के बाद रहस्यमयी परिस्थितियों में हुई हत्या है जिसका ज़िम्मेदार अमेरिका सऊदी अरब को मान रहा है। टर्की ने भी इस बात को हवा दी है कि हत्या का कारण कहीं ना कहीं सऊदी अरब दूतावास से ही जुड़ा है और वहां के अधिकारियों ने लोकल पुलिस को अभी तक मामले की जांच-पड़ताल की इजाज़त नहीं दी है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने सऊदी अरब को गंभीर परिणाम भुगतने की चेतावनी दी है अगर उसे इस बात के सबूत मिलते हैं कि कमाल की हत्या सऊदी के इशारे पर हुई है। रियाद में एक बहुत बड़ी इन्वेस्टर्स समिट होने वाली थी जिसे कवर करने के लिए CNN, न्यूयॉर्क टाइम्स, द इकोनॉमिस्ट, ब्लूमबर्ग इत्यादि रियाद जाने वाले थे। उबेर, वर्जिन ग्रुप और वायाकॉम जैसी कंपनियों का वहाँ निवेश करने का सुनिश्चित प्लान था जो फिलवक्त खटाई में पड़ गया है। ऊपर से सऊदी प्रिंस सलमान जिनका अपने देश मे सुधारों क

विराट कोहली: एक 'बदजुबान' राष्ट्रीय कप्तान

आज थोड़ी देर से पता चला कि ज़ुबान पर लगाम ना हो तो उसका क्या अंजाम होता है। तो हुआ यूं कि कोहली ने अपने नाम से लांच हुए नए एप्प के प्रमोशन के दौरान अपने को ट्रोल किये गए कुछ ट्वीट्स के जवाब देने का सोचा और उनमें से एक ने ये कहा था कि कोहली 'दिखाऊ' बल्लेबाज़ ज़्यादा है और उस बंदे को इंग्लिश और ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज ज्यादा पसंद हैं। कोहली ने जवाब दिया कि मुझे कोई दिक्कत नहीं कि आप मुझे पसंद नहीं करते लेकिन आपको ऐसा करना नहीं चाहिए। आपको अपनी प्राथमिकता निर्धारित करनी चाहिए और 'केवल अपने देश के खिलाड़ियों' का सम्मान करना चाहिए। एक 'चार साल का नौजवान' ऐसी बातें बोलता है और मुझे इनसे ज्यादा तो सरफराज अहमद पसंद है। वह गुस्सा होता है, चिल्लाता है लेकिन प्रेस कॉन्फ्रेंस में एकदम सही और खरी बात बोलता है जबकि उसकी तालीम इनसे ज्यादा नहीं होगी किसी भी फील्ड में। मोदीजी का राज़ है, मैं उनके सारे अच्छे कार्यों का समर्थन करता हूँ लेकिन घर वापसी और देश निकाला जैसी बातें किस स्तर पर लोगों को नुकसान पहुंचा सकती हैं, कोहली उसका सबसे नायाब नमूना हैं। जनाब को खुद दक्षिण अफ्रीकी हर्शेल ग

श्रीनिवास रामानुजन : एक 'ईश्वरपरायण' गणितज्ञ

जैसा कि कुछ दिन पहले मैंने बताया था, मैं अभी स्टीफन हॉकिंग की बेस्टसेलर 'अ ब्रीफ हिस्ट्री ऑफ टाइम' पढ़ रहा हूँ और जैसे ही सर की व्याख्या मैंने ब्लैकहोल्स के बारे में पढ़ी, मुझे श्रीनिवास रामानुजन याद आ गए। कैसे? दरअसल रामानुजन ने एक थ्योरम अपने अंतिम दिनों में ईजाद की थी जिसकी मदद से हम एंट्रोपी की गणना कर सकते हैं। किसी बॉडी की ऊर्जा का वह भाग जिसका उपयोग नहीं किया जा सकता, एंट्रोपी कहलाता है। हाकिंग ने यह खोज की कि ब्लैक होल्स भी ऊर्जा के बहुत बड़े स्रोत हैं जोकि रेडिएशन एमिट करते हैं लेकिन उनके अंदर कितनी ज्यादा ऊर्जा समाहित है, इसकी गणना नहीं की जा सकी है। रामानुजन और हाकिंग यहीं एक साथ होते हैं। रामानुजन की कहानी, मुझे उम्मीद है, आप सबको पता होगी। अगर नहीं है तो ज़रूर पता कर लें। पश्चिमी जगत स्टीफन हॉकिंग, एलन ट्यूरिंग और जॉन नैश के ऊपर गश खाता है लेकिन रामानुजन इन सबमें भी अतिविशिष्ट थे। हिंदुस्तान के पास शायद गणितीय दुनिया का सबसे अनमोल खजाना था जिसे काल ने असमय हमसे छीन लिया लेकिन मात्र 32 वर्ष की आयु में उन्होंने उस दुनिया को जितना दिया, वह आज तक पर्याप्त सिद्ध हो रहा है

आईएनएस अरिहंत: कितना उपयोगी?

कल हिंदू में आईएनएस अरिहंत पर एक लेख आया था। कइयों को उसपर मेरी टिप्पणी निराश करेगी क्योंकि हम सब देशभक्त हैं और किसी भी तथाकथित (या असल) उपलब्धि पर गौरवान्वित महसूस करते हैं। आईएनएस अरिहंत एक ऐसी ही 'तथाकथित' उपलब्धि है। इसकी रेंज 750 किमी है जो पाकिस्तान और हद से हद चीन को टारगेट कर सकती है। पाकिस्तान के पास जो टैक्टिकल न्यूक्लियर वेपन्स हैं, वे एक बैटलफील्ड को नुकसान पहुंचा सकते हैं नाकि एक पूरी सभ्यता को। अतः पाकिस्तान को हम अपनी लैंडबेस्ड न्यूक्लियर आर्सेनल से ही मात दे सकते हैं। चीन पिछले 50 वर्षों से लगातार 'पहले न्यूक्लियर हमला ना करने' के सिद्धांत पर टिका हुआ है। अतः अगर चीन अपनी पालिसी से पलटी खाता भी है तो भी उसको इस बात का अंदाज़ा अच्छी तरह होगा कि उसकी अरबों की जनसंख्या भारत के किसी भी प्रकार की हमलावर रणनीति से कितना नुकसान भुगतेगी। न्यूक्लियर पनडुब्बियां अक्सर अंतिम उपाय का काम करती हैं जब एक देश की लैंड बेस्ड वेपन्स ऑरमरी किसी हमले में पूरी तरह नष्ट हो जाती है और फिर ऐसी पनडुब्बियां सामने वाले के ऊपर चालाकी से हमला करके 'पारस्परिक विनाश' को अंजा

Men's Tennis' New Generation Finally Finding it's Feet in Legends' Backyard

Probably the biggest news from Tennis world this year: Alexander Zverev beat Novak Djokovic to win the most prestigious year-end ATP Tour Final Title in London. Alexander Zverev from Germany and Dominic Thiem from Austria are two of the hottest properties among all the promising newcomers in Tennis and Sascha Zverev proved his credentials by first beating Roger Federer in Semifinal and then Novak in Finals and both those victories came in straight sets. With Federer turning 38 next year, Nadal 33 and Novak 32, it is high time next generation of tennis players step up and prove their mettle. I have been following Thiem's game for last 3 years and only in 2018, he has come into his own and Zverev, a last minute addition to ATP Finals tournament in place of injured Juan Martin Del Potro, stunned two of the most accomplished tennis players in history to lift this title. Federer, Nadal, Murray, and Novak have been the Gold Standards of Tennis for so long and it has been a privilege

#MeToo मुहिम के पीड़ितों के देर से सामने आने के कारण

सन 1999-00 के करीब संजय दत्त की फ़िल्म 'खूबसूरत' आयी थी। 'वास्तव' पता नहीं पहले आ चुकी थी या बाद में लेकिन वह संजय की दूसरी/तीसरी पारी की शुरुआती फिल्मों में से एक थी। कमबैक स्टोरीज़ मुझे बचपन से ही पसंद हैं तो मैंने वह फ़िल्म भी देखी और उर्मिला मातोंडकर का पहला 'डीग्लैम' अवतार भी उसी फ़िल्म में सामने आया। फ़िल्म में संजय शायद एक ब्लफमास्टर बने हैं जहां तक मुझे याद है और परिस्थितिवश उर्मिला के घर मे प्रवेश कर जाते हैं। उर्मिला के दादाजी का रोल वरिष्ठ कलाकार अंजन श्रीवास्तव जी ने निभाया था और जब उन्हें पता चलता है कि संजय अमेरिका से आये हैं (सफेद झूठ) तो रंगीनमिजाज अंजन उन्हें अपने पास बुलाकर पूछते हैं- "बेटा, अमेरिका के बारे में कुछ बताओ। सुना है कि वहां सोसाइटी बहुत ओपन है, औरतें-लड़कियां कम/छोटे कपडें काफी पहनती हैं और 'फ्री सेक्स' जैसा भी मैंने सुन रखा है।" आप सोच रहे होंगे कि 90 की फिल्मों में यह सब होना 'आम' था, कोई नई बात नहीं। मैं भी इत्तेफ़ाक़ रखता हूँ। संजय, दादाजी की बात हंसकर टाल जाते हैं लेकिन समझ जाते हैं कि वे काफी 'रंगीनमि

कॉलेज रोमांस: टाइमलाइनर की 'खालिस' नार्थ-इंडियन 'यूथ ओरिएंटेड' वेबसीरिज़

अमूमन वेब सीरीज का मतलब नेटफ्लिक्स, अमेज़न प्राइम वीडियो वगैरह वगैरह से आप लगा सकते हैं लेकिन फिलवक्त अपने हिंदुस्तानी भी स्यापा कर रहे इस फील्ड में। ये एक गाना है टाइमलाइनर्स की वेब सीरीज 'कॉलेज रोमांस' का। पिछले एक दो महीने में अगर कुछेक चीजों ने मेरा मन बहुत ज़्यादा हल्का किया है तो ये उसमें नंबर 1 है। बेलगाम डायलॉग्स, बढ़िया प्लाट, जमकर गालियां और फसाद और एक से बढ़कर एक एक्टर्स (और उनके कैरेक्टर्स)। बग्गा एक करैक्टर है जो इस समय यूट्यूब और इस सीरीज की बदौलत पूरे हिंदी पट्टी का सबसे कूल और धाकड़ लौंडा बन गया है और सबसे खास बात ये कि वो मेन लीड में भी नहीं है। एंट्री भी एपिसोड 3 में होती है। सीरीज के पहले एपिसोड तक डायरेक्टर ने मर्यादा रखी थी, फिर लोगों के प्यार ने उसे एहसास दिलाया कि इंटरनेट पर सेंसरशिप नहीं होती और उसके बाद तो बँदा अपने एक्टर्स को लेकर फुलटू उड़ पड़ा। कॉलेज रोमांस है सीरीज का नाम और टोटल 5 एपिसोड्स हैं फर्स्ट सीजन में। अभी से सीजन 2 की जबरदस्त माँग शुरू हो गयी है और यह उत्साह केवल एक बात की तरफ इशारा करता है कि अच्छा कंटेंट हिंदुस्तान में भी खूब पक रहा है।

राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार: गुना-गणित और ड्रामा

राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार देने की घोषणा हो चुकी है। महिला भारोत्तोलक और वर्तमान विश्व चैंपियन मीराबाई चानू और भारतीय क्रिकेट कप्तान विराट कोहली को इस सर्वोच्च खेल सम्मान के लिए चुना गया है। आपको बता दें कि यह खेल पुरस्कार एक खिलाड़ी द्वारा जीते गए ओलिंपिक, वर्ल्ड चैंपियनशिप, कॉमनवेल्थ गेम्स पदकों पर अर्जित किये गए पॉइंट्स पर दिया जाता है। चूंकि क्रिकेट ओलिंपिक स्पोर्ट्स नहीं है तो 11 सदस्यीय चयन बोर्ड हाथ उठाकर वोट करता है किसी खिलाड़ी के नाम पर। विराट कोहली को 11 में से 7 मिले। चानू को 6 और किदाम्बी को 5। इसलिए किदांबी श्रीकांत दौड़ से बाहर हो गए। अब इनके पॉइंट्स की बात करते हैं तो विराट को 0, चानू को 44 और श्रीकांत को भी इतने ही वोट्स मिले। बाकी एथलीट्स की बात करें तो बजरंग पुनिया को 80, विनेश फोगाट को 80, पैराएथलिट दीपा मालिक को 78.5 और तीरंदाज अभिषेक शर्मा को 55 अंक मिलें। बजरंग पुनिया कल खेल मंत्री से मिले हैं और असंतुष्ट होकर वापिस लौटे हैं। आजकल में वह सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी में हैं। एक और पुरस्कार न्यायालय के विचाराधीन और इस सर्वोच्च खेल सम्मान की गरिमा खतरे में। आप भी

क्रिकेट ट्रेजिक्स और हार्टब्रेक्स: एक नायाब फ़साना

टाई मैचेज काफी कम हैं क्रिकेट इतिहास में। कल वाले मैच का रिजल्ट काफी सही कहा जा सकता है अगर हम अफ़ग़ानों का प्रदर्शन पूरे टूर्नामेंट में और कल विशेषतः देखें। लेकिन अफ़ग़ान, पाकिस्तान के जैसे एक 'इरेटिक' टीम हैं। वे गलतियाँ काफी करते हैं और आपको काफी मौका देते हैं। भारत कभी भी 'गड़बड़' क्रिकेट खेलने में यकीन नहीं करता और उनके खेलने का एक व्यवस्थित तरीका है। इस पूरे टूर्नामेंट में 250 का स्कोर काफी सुरक्षित रहा है और यह जानते हुए भी कि केवल एक विकेट गेम पलट सकता है, रायुडू और राहुल अपने विकेट फेंक दिए। अफ़ग़ानों के तीन स्पिनर्स हैं: राशिद, मुजीब और नबी अपने कोटे के 30 ओवरों में आपको 135 रन्स से ज्यादा नहीं देंगे। फिर उनके स्किलसेट भी ऐसे हैं कि नए बल्लेबाज़ मिडिल ओवर्स में आकर उन्हें मार नहीं सकते। मारना क्या है, विकेट ही बचाना है। राहुल आज टीम में जगह नहीं ढूंढ पा रहे, उसका एक कारण उनका टेम्परामेंट है। टैलेंट आपके पास दुनिया भर का हो लेकिन अगर आप विकेट पर रुकना ही नहीं चाहेंगे तो शतक और दोहरा शतक कैसे लगा पाएंगे? फिर अंपायरिंग का एक ही मैच में इतना खराब होना 90 के दशक की याद दिला

It's Shastri vs Ganguly......Again!!!

If you have noticed the media reports recently regarding India's overseas tours and Shastri and Co. 'insensible' remarks about their performances, you could have seen Sourav Ganguly confronting them every time. The way things are being handled by Shastri and Co., it seems they are undermining the power of our legends. Tendulkar has always been a gentleman and kept mum even in the strangest of situations. Can't expect anything of note from Dravid and Laxman, so it has to be Sourav to become the voice of opposition. He could even become unpopular in the process but true fans of the game would know who is being right. CoA in a way hasn't helped Indian Cricket and BCCI don't even care what's going on 'in-the-field'. After such a meltdown (like England), they would either call upon New Zealand or Windies to come and rescue India's domestic calendar. If they are the best travelling team in the world, they must know what they have done in those travels

राजपूतों की अनेकानेक असफलताओं के कारण

सिंध नरेश 'दाहिर' की पुत्रियों, सूर्या और परमाल देवी, के अरब के खलीफा के सामने आत्मोत्सर्ग की कहानी आपमें से बहुत कम ने सुनी होगी। यह 'चचनामा' से उद्धृत है जो 715 ईशवी के सिंध का प्रामाणिक इतिहास प्रस्तुत करती है। इस कहानी को मैंने अपने आरएसएस के अनुषांगिक संस्थान विद्याभारती द्वारा संचालित विद्यालय की इतिहास की पुस्तक में पढ़ा था। उसी पुस्तक में मैंने चार बांस, चौबीस ग़ज़ वाली चंदबरदाई की कवितापाठ और तदोपरांत पृथ्वीराज द्वारा मुहम्मद गोरी की शब्दभेदी बाण से की गई हत्या वाली कथा भी पढ़ी थी जोकि कालांतर में झूठी साबित हुई या कम से कम 'विवादास्पद' तो बिल्कुल ही। खैर, विद्याभारती की पुस्तकें हिन्दू गौरव की बातें करती थीं और उन्हें पढकर उस छोटी से उम्र में भी जोश आ जाता था। अगर इस कहानी का सही आधार 'चचनामा' है तो मैं इसके लिए खुश हूं। दूसरी बात एक हमारे दोस्त ने यह उठाई कि राजपूत इतने वीर होते हुए भी क्यों हमेशा हारते रहे? पहले तो इसलिए हारते रहे कि भीतरघात बहुत ज्यादा होती थी और शासकों के बीच ही होती थी। ऐसा अपने राजस्थान के इतिहास के विशद अध्ययन के आधार पर कह

भारतीय क्रिकेट में टीम चयन के दोहरे पैमाने

भारतीय क्रिकेट टीम 1986 में इंग्लैंड के दौरे पर थी। मनोज प्रभाकर वैकल्पिक तेज गेंदबाज के रूप में टीम के साथ मौजूद थे। चेतन शर्मा को पहले टेस्ट मैच में चोट लगी और वे दौरे से बाहर हो गए। भारतीय कप्तान कपिल देव ने प्रभाकर की जगह इंग्लैंड में 'लीग' (क्लब प्रतियोगिता) क्रिकेट खेल रहे 'मदनलाल' को स्क्वाड और बाद में फाइनल 11 में जगह दे दी। मनोज प्रभाकर देश के लिए एक बेहतरीन क्रिकेटर रहे हैं और 'कथित' अनुशासनहीनता और बीसीसीआई की लीक पर ना चलने की वजह से उनकी उपलब्धियों को भुला दिया गया है। 8 टेस्ट अर्धशतक जिनमें से 7 बतौर टेस्ट ओपनर और ओवरसीज लोकेशन्स पर, साथ ही अनगिनत विकेट्स ओपनिंग बॉलर के रूप में और दिन भर केवल अपना सर्वश्रेष्ठ देने की चाहत। कपिल के खिलाफ जाने का साहस आजतक प्रभाकर के बाद केवल सौरभ गांगुली ही कर पाए जब उन्हें भी 'कथित' अनुशासनहीनता के आरोपों के कारण 1991-92 के ऑस्ट्रेलिया दौरे से वापिस घर भेज दिया गया था। 2011-12: भारत का ऑस्ट्रेलिया दौरा। भारत पहले 2-0 से और फिर 3-0 से पीछे हुआ। स्क्वाड में अजिंक्य रहाणे, विराट कोहली और रोहित शर्मा जैसे नौ

Not Khabib,Not Connor but UFC and Dana White Screwed UFC 229

The biggest day in UFC history quickly turned into the darkest, as Khabib Nurmagomedov’s decision to leap out of the Octagon after his win over Conor McGregor triggered absolute mayhem. An out of control Nurmagomedov attacked McGregor’s team, while the Irishman, who remained inside the cage, was targeted by a number of the Russian champion’s entourage. You would know this was HUGE because media the world over covered this craziest, most chaotic fight finish in recent history of combat sports. And only UFC administration was to blame here. Connor McGregor, although an Irishman, is US favorite simply because he toes the US line. Also, a large percentage of US population owe their identities to Irish lineage. Khabib meanwhile is a Russian and top of it, a muslim. So UFC hopped the 'hype train' and built this fight, Connor's first in 23 months, as US vs Russia fight, Western vs Eastern World fight and Christians vs Muslims fight. Let me tell you that I have always loved th

हैंसी क्रोन्ये: एक असहाय, विवश खलनायक

इस कहानी से अभी वास्ता पड़ा, इसलिए अभी लिखना ही ज़रूरी है। शेक्सपियर ने 'हैमलेट' में लिखा है कि एक इंसान जोकि अच्छा है और हमेशा मुस्कुराता रहता है, वह तब भी खलनायक हो सकता है। सन 2000 का मैच-फिक्सिंग प्रकरण अभी भी क्रिकेट दुनिया के सबसे बुरे वक्त की दास्ताँ है। दिल्ली पुलिस ने हर्शेल गिब्स, हेनरी विलियम्स और हैंसी क्रोन्ये को अजहरुद्दीन और अजय जडेजा के साथ चार्जशीट किया। सन 2018 चल रहा और आज की दिल्ली पुलिस की चार्जशीट में उस प्रकरण से सम्बंधित केवल एक क्रिकेटर का नाम है और वो है क्रोन्ये। सन 2010 में ओवल के मैदान में अगर आमिर, सलमान बट और आसिफ स्पॉट फिक्सिंग वाले एपिसोड में पकड़े नहीं गए होते तो मैं दावे के साथ कह सकता हूँ कि यह मैच फिक्सिंग के जिन्न बिना क्रोन्ये के खुलासे के सामने आ ही नहीं सकता था। क्रोन्ये ने किंग्स कमीशन के सामने अपने कबूलनामे में बेबाकी से कहा था कि उन्हें पैसे की लत लग गयी थी यद्यपि एक सामान्य दाक्षिणी अफ्रीकी के तुलना में उनके पास दस गुना ज्यादा दौलत थी। अगर आप पैसा कमा रहे हैं तो आप उस लत से वाकिफ ज़रूर होंगे। मैं केवल 10 साल का था जब यह वाकया हुआ था

Book Review: Sin is the New Love

The subject of this review is Abir Mukherjee’s third novel named Sin is the New Love'. I took a hell lot of time to read this book and I had enough reasons to do so. First of all, I had got the chance to read Abir’s second book, S.O.A.R and it was one of the most neatly written books I had come across. So bearing its pristine nature in mind, I had to approach this latest offering. Secondly, like it’s name suggests, is written in the garb of a suspense thriller, so layer by layer it reveals its core and so you got to be well acquainted with everything in order to move on. There were many interesting characters, not least its female protagonist and a ‘ghostly presence’ of a bestseller writer, so you needed to study them carefully, get there in their heads and sense what they were trying to do and why. It was a fruitful exercise and rewards were handsome. I might wanna give you some details first. I very often dread doing that simply because it runs the risk of making my reviews sou

अरुणाचल प्रदेश सीमा पर योजनावद्ध चीनी 'खनन' गतिविधियों के संभावित दुष्परिणाम

अब तक सारे सुधीजनों को चीन के अरुणाचल प्रदेश सीमा पर खनन गतिविधियों का पता चल गया होगा। आइए कुछ जरूरी जानकारियों/मुद्दों की बात करते हैं: 1. Lhunze, जहाँ चीन ने सोना, चांदी और बहुत से दुर्लभ खनिजों का 4 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा मूल्य का भंडार खोजा है, वह सन 1959 तक भारत का हिस्सा था। 1962 कि युद्ध से पहले भी चीन भारतीय क्षेत्र पर अधिकार करता रहा है और यह क्षेत्र उसने असम राइफल्स के जवानों को खदेड़ कर हथिया लिया। उस समय भारत सरकार को अक्साई चीन जैसे इसका कुछ खास एहसास हुआ नहीं होगा लेकिन आज 60 साल बाद तस्वीर बिल्कुल उलट है। 2. चीन अरुणाचल प्रदेश को 'दक्षिणी तिब्बत' कहता है। 1960-70 में तिब्बत एक खास मुद्दा हुआ करता था क्योंकि चीन एक आर्थिक महाशक्ति नहीं था और अमेरिका उसे हमेशा तिब्बत के पीछे धमकाता रहता था। आज दलाई लामा खुद 'स्वायत्तता' की बात करना शुरू कर दिए हैं, नाकि 'स्वतंत्रता' की। तिब्बतियों के ऊपर राजनीति अभी भी होती है लेकिन अब दलाई लामा धर्मगुरु और तिब्बती 'चीनी' बन चुके हैं। 3. चीन ने Lhunze कॉउंटी, जोकि उसके शानान प्रान्त के हिस्सा है, वहा

जल संरक्षण, स्वच्छ जल अभियान और सीवेज ट्रीटमेंट के क्षेत्र में घटित कुछ बेहद महत्त्वपूर्ण घटनाक्रम

पिछले कुछ समय से हम लोग देश विदेश के समसामयिक घटनाक्रम और ज्वलंत मुद्दों पर बात कर रहे हैं। इसी दौरान जल संरक्षण की बात हुई थी और यह भी कि हमारे समुद्रों में पूरी उपलब्ध जलराशि का 98% जल है तो उनका अलवनिकरण करके उसका उपयोग क्यों ना किया जाए या किस प्रकार किया जाए? इसके ऊपर कुछ अध्ययन किया तो पता चला कि चेन्नई में पहले से ही दो प्लांट्स काफी अच्छे से काम कर रहे और दो और जल्द ही शुरू होने वाले हैं जो अगले वर्ष तक चेन्नई की रोज़मर्रा की जल जरूरतों का 50% भार उठा सकेंगे। अभी बिजली खर्च सबसे बड़ी चुनौती है इन प्लांट्स की लेकिन कुछ समय बाद सोलर एनर्जी वगैरह का इस्तेमाल करके इस चुनौती पर काबू कर लिया जाएगा। साथ मे, गुजरात मे भी ऐसे ही प्लांट्स लग रहे। विश्व की बात की जाए तो 150 से ज्यादा देशों में 18,000 ऐसे प्लांट्स हैं जो बिल्कुल स्वच्छ और स्वस्थ जल लोगों तक पहुंचा रहे हैं। अभी लागत ऊंची है विभिन्न कारणों से लेकिन यह बहुत जल्द ही आम इंसान की पहुंच में आ जायेगी। यह बात हुई फ्रेश वाटर के संरक्षण और प्रयोग की और अब बात होगी उस पानी की जिसका हम उपयोग करके उसे गंदा करके सीवेज में बदल देते हैं। न

भारत: छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था या एक भ्रमित राष्ट्र?

भारत फ्राँस को पिछाड़कर दुनिया की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का स्वामी बन गया। कल रूस के नेशनल टीवी के मीडिया आउटलेट ने इसपर एक स्टोरी चलाई और उसपर कोई फ़िल्टर अप्लाई नहीं किया। रूस वाले सकारात्मक थे जैसे कि उम्मीद थी लेकिन उन्होंने कुछ सुझाव भी दिए। इंग्लैंड और फ्राँस वाले बेहद आक्रामक ढंग से इसपर प्रतिक्रिया दिए। पाकिस्तानियों से कोई उम्मीद नहीं थी, सो उन्होंने मुझे निराश भी नहीं किया। लेकिन कुछ निष्कर्ष उस पूरी कहानी से निकले जिसे आपके साथ साझा करने का मेरा मन है.... 1. छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का टैग यह सच्चाई नहीं छुपा सकता कि भारत मे अमीरों और गरीबों के मध्य की खाई चौड़ी होती जा रही। 2. प्रति व्यक्ति आय भारत की मात्र 1700 डॉलर है जबकि फ्राँस की 34,000 डॉलर। प्रति व्यक्ति आय ही अर्थव्यवस्था की प्रगति का सही संसूचक होता है। अतः हमें काफी फासला तय करना है। 3. आज़ादी के मात्र 70 सालों बाद ही हमने दुनिया को अपनी पहचान दिखा दी है। यह हमारी काबिलियत का प्रमाण है। यहाँ यह बात गौर करने लायक है कि इंग्लैंड ने हमें प्रथम औद्योगिक क्रांति के फायदे से महरूम रखा लेकिन तब भी हमने अपनी सूचना

चीनी आक्रामकता का बढ़ता दायरा: पहले हिन्द महासागर और अब प्रशांत

एक जमाना हुआ करता था जब भारत यह सोचता था कि चूंकि हिन्द महासागर का नाम हिन्द महासागर है तो वह इनका है या कम से कम ये निर्णय लेंगे कि इसका क्या करना है या इसमें क्या होगा। आज से दो-तीन साल पहले ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड को भी यही लगता था कि चूंकि दक्षिणी प्रशांत महासागर में स्थित ये दो देश सबसे प्रभुत्व वाले हैं तो यही इसके भाग्य विधाता हैं। तो यह कहना गलत नहीं होगा कि चीन ने इन तीनों देशों की गफलत को दूर कर दिया है। इन तीनों देशों के पास ऐसा कहने सोचने का कोई हक भी नहीं है। आज भारत सागरीय क्षेत्र की संप्रभुता की बात बड़ी मजबूती से सामने रखता है लेकिन यह तब हो रहा जब चीन जिबूती, ग्वादर और हम्बनटोटा में अपने मिलिट्री बेस/पत्तन तैयार कर चुका है। इन तीनों राष्ट्रों ने यह समझने में अच्छी खासी देर लगा दी कि चीन दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है और चूंकि अब उसकी घरेलू व्यवस्था और प्रशासन सुदृढ़ है, वह जरूर एक वैश्विक महाशक्ति बनने का प्रयास करेगा। आप किसी संप्रभु राष्ट्र की विदेश नीति में हस्तक्षेप तब तक ही कर सकते हैं जब तक कि उसकी स्थिति आपसे मजबूत ना हो। चीन इन तीनों राष्ट्रों

राहुल द्रविड़ की प्रशंसा में......

मेरी जानकारी में एक मीडिया एजेंसी है जो केवल सनसनीखेज खबरों के ऊपर ही ध्यान देती है। लेकिन एक दिन उसने राहुल द्रविड़ के ऊपर कुछ लिखा और मैंने उसे उसके पापों से मुक्त कर दिया। राहुल के ऊपर मैं शायद मार्च से ही लिखना चाहता था। भारत U-19 वर्ल्ड कप जीता था और द्रविड़ ने उस खुशी के मौके पर भी सबको बराबरी की इनामी राशि की वकालत कर दी। हम इसे टिपिकल द्रविड़ स्टाइल कहने लगे हैं। सभी ने कहा कि यार इतना भी ना करो कि कुछ कहने-सुनने को ही ना बचे। लेकिन इस बंदे को चैन नहीं और उनको भी नहीं जिन्हें सही आदमियों की परख है। भाई, तारीफ पर तारीफ लेकिन सबसे बड़ी तारीफ ICC की ओर से जिसने उन्हें भारत की ओर से केवल 5वां ऐसा क्रिकेटर बनाया जिसे उसके हॉल ऑफ फेम में जगह मिली। शायद इससे सही मौका मुझे नहीं मिल सकता था कि मैं कुछ लोगों की मदद से ही सही अपनी कृतज्ञता राहुल के लिए प्रगट कर सकूं। 1. स्टीव वॉ: आप उनका विकेट पहले 15 मिनट में ले लें, ऐसा नहीं होता तो बाकी के लेने की कोशिश शुरू कर दें। 2. MTV इंडिया: टाइम और टाइड किसिस का इंतज़ार नहीं करते, सिवाय द्रविड़ के। 3. Gideon Haigh (प्रख्यात क्रिकेट इतिहासकार ए

२०१८ फुटबॉल वर्ल्ड कप: कुछ प्रेरणादायी किस्से

जापान की फुटबॉल टीम इस वर्ल्ड कप में चैंपियन जैसी खेली। कोलंबिया को हराकर किसी दक्षिणी अमेरिकी फुटबॉल टीम को हराने वाली पहली एशियाई टीम बनी। अपने ग्रुप में सबसे निचली रैंकिंग (61वी) की टीम होते हुए भी अंतिम 16 में उसने जगह बनाई जहाँ विश्व की तीसरी सर्वश्रेष्ठ रैंकिंग की टीम बेल्जियम से वह 3-2 के अंतर से इंजरी टाइम के अंतिम मिनट में हारी। 52वे मिनट तक जापान मैच का राजा था और सबको लगने लगा था कि बेल्जियम भी जर्मनी, अर्जेंटीना, पुर्तगाल और स्पेन जैसे उलटफेर का शिकार बनेगा। लेकिन बेल्जियम ने अंतिम 20 मिनट में पागलों जैसा फुटबॉल खेलकर जापानियों का दिल तोड़ दिया। ऐसे में एक आम दर्शक क्या करेगा? स्टेडियम की सीट्स पर गुस्सा निकालेगा, अपने होटल के कमरे में तोड़-फोड़ करेगा और सब कुछ गंदा कर देगा। जापानियों ने ऐसा कुछ नहीं किया। रोते-रोते भी पूरा स्टेडियम साफ किया। अपनी ही गंदगी नहीं, अन्य दर्शकों की गंदगी भी साफ की। सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल हो गया और दुनिया भर में ये प्रशंसक मिसाल बन गए। साफ-सफाई को जापानी समाज का अनिवार्य अंग माना जाता है और उन्होंने वही किया जो उन्हें सिखाया जाता रहा है। हमारे

मैं क्यों एक उदारवादी नहीं हूँ।

यह कहना जरूरी हो गया था। कुछ लोग आजकल कथित 'हिन्दू नाजीवाद' से काफी आक्रांत दिख रहे और संघ उनके अनुसार हिटलर के 'एस एस' जैसा बर्ताव कर रहा। मैं मेजोरिटी से हूँ, हो सके मेरी दृष्टि से वह सब कुछ नहीं दिखता जोकि बाकी माइनॉरिटी को तब भी संघ को बखूबी जानता हूँ। उनका एक एजेंडा है, लेकिन यह कहना कि वे उसे लेकर हिंसक हैं या आक्रामक, निरा मूर्खता है। यह स्थिति बहुत दुखी करती है और यहाँ संघ का बचाव नहीं कर रहा। संघ की आड़ में जो हिन्दू धर्म को गाली दे रहे, इसकी भर्त्सना कर रहे, उससे मन व्यथित हो जाता है। उदारवाद क्या है? यही ना कि आप खुले मन से सारे विचारों को आत्मसात करें। इसमें आपके विरोधी मत भी शामिल हो सकते हैं। लेकिन पढ़े-लिखे विद्वान जब एक दूसरे की लानत-मलानत करते रहते हैं और इस बात का ध्यान रखें कि ऐसी बहसों में कोई नहीं जीतता तो मुझे ऐसे छद्म उदारवाद पर हंसी आती है। मैं पूरी तरह स्वीकार करता हूँ कि मैं उदारवादी 'नहीं' हूँ। मुझे विरोधी खेमे की ना पचाये जा सकनी वाली बातें सही नहीं लगती लेकिन समाज के प्रति अपने कर्तव्य और अपनी छवि के अनुसार मैं मुखर नहीं हो सकता लेकि

इस्लामिक आतंकवाद, कट्टरता और यूरोप का छद्म उदारवाद: आज के विश्व की कड़वी सच्चाईयाँ

जर्मनी दक्षिण कोरिया से हारकर विश्व कप के ग्रुप स्टेज से ही बाहर हो गया। जर्मनी डिफेंडिंग वर्ल्ड चैंपियन था और अच्छी फॉर्म में भी लेकिन पहले मेक्सिको और बाद में कोरिया ने उन्हें सरप्राइज कर दिया। जर्मन इतना खराब खेले भी नहीं थे लेकिन सामने वाली टीम्स जरूर उनसे बीस साबित हुईं। ज़ाहिर सी बात है कुछ खिलाड़ियों के ऊपर इस निराशाजनक प्रदर्शन का दोष मढ़ा गया। मेसुत ओज़िल, जोकि तुर्किश मूल के जर्मन खिलाड़ी हैं और प्रीमियर लीग में आर्सेनल के लिए खेलते हैं, के प्रदर्शन को इसका सर्वप्रमुख कारण बताया गया। ओज़िल इस घटनाक्रम से बेहद आहत होकर इंटरनेशनल फुटबॉल से संन्यास ले लिए। ओज़िल का मैं बड़ा प्रशंसक रहा हूँ। वह एक बेहद उम्दा खिलाड़ी, इंसान और रोल मॉडल हैं। जर्मन फुटबॉल फेडरेशन ने ना केवल उनके खेल को निशाना बनाया बल्कि उनकी तुर्किश एथनिसिटी, उनका वर्ल्ड कप से पहले तुर्की राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगान से मिलना और उन्हें राइट विंग समर्थक और कट्टर मुसलमान बताना ओज़िल को नागवार गुजरा। उन्होंने कहा कि जब वह गोल किया करते थे तो जर्मनी को उनसे कोई समस्या नहीं थी लेकिन जब उनकी फॉर्म खराब हुई तो उन्हें मुसलमान और ब

फ़िल्मी परिचर्चा: धड़क

मैंने सैराट नहीं देखी है (हालाँकि मेरे पास दो साल से पड़ी हुई है और नाना पाटेकर साहब की नटसम्राट भी) लेकिन आज जो मैंने धड़क देखी, उससे मेरा काम चल गया। मुझे और कुछ देखना शेष नहीं रहा। ये 'नेपोटिस्म' पर विवाद करने वाले एक्टिंग या फिल्ममेकिंग का क, ख, ग जानते नहीं और आ जाते हैं भाई-भतीजावाद पर बोलने। आप दर्शक हैं, बोलिये, अपनी राय दें लेकिन कहानी पर, फ़िल्म की पेस पर नाकि एक्टिंग पर। ये स्टारकिड्स भी फ़िल्म के फ्लोर पर जाने से पहले महीनों वर्कशॉप में मेहनत करते हैं और फिर आपके सामने उनकी कला दिखती है। अनुराग कश्यप भी तो विनीत सिंह और नवाज़ुद्दीन को बहुत दिन से जानते थे लेकिन मौका 10-12 सालों बाद ही क्यों दिया। यह सब बेकार की बातें हैं और हाँ, मेरी तरफ से फ़िल्म को 10/10. अमूमन मैं हिंदी फिल्मों से नाराज़ रहता हूँ कि पहला हाफ बेहद मजबूत रहते हुए भी दूसरे हाफ में ये कमज़ोर पड़ जाती हैं। धड़क के साथ ऐसा बिल्कुल नहीं था और यथार्थ दिखाया गया है। अगर आपने प्यार किया है तब तो आप इसे भूल ही नहीं पाएंगे। एक और बात, सैराट नहीं देखी है तो इसे बिल्कुल देखिये। अपने बलबूते ये टिपिकल हिंदी फिल्मों की जमा

हैप्पी 37th बर्थडे फेडरर

जब टेनिस देखना शुरू किया था तो उस समय दो बंदे बेहद हावी थे इस खेल पर। आंद्रे अगासी और पीट सम्प्रास। दोनों अमेरिका के और दोनों बेहतरीन खिलाड़ी। अगासी कैरियर की शुरुआत से ही बड़े बालों के शौकीन और गैर-पारम्परिक टेनिस खेलने के हिमायती थे। पीट उनके बिल्कुल उलट थे और एक कुशल, आला दर्जे की जर्मन मशीनरी जैसे कम से कम खतरे उठाने वाली टेनिस खेलते थे। इसका उन्हें फायदा हुआ और 14 ग्रैंड स्लैम टूर्नामेंट जीतकर वे 21वी शताब्दी के पहले दशक के सबसे अच्छे टेनिस खिलाड़ी बनकर उभरे। सम्प्रास शारीरिक रूप से भी अगासी से बीस दिखते थे और टेनिस जैसे मेहनती खेल में शारीरिक मजबूती मेरे हिसाब से काफी मायने रखती है। सम्प्रास अपनी भावनाओं को खेल के ऊपर कभी हावी नहीं होने देते थे और हमेशा एक उम्दा प्रोफेशनल जैसे दिखते थे चाहे वह टेनिस कोर्ट हो या सार्वजनिक जीवन। शायद उनका यह अंतर्मुखी व्यक्तित्व ही उन्हें टेनिस की दुनिया का एक बेहतरीन रोल मॉडल नहीं बना पाया। इसके उलट अगासी ने स्टेफी ग्राफ से शादी की जो मार्गरेट कोर्ट के बाद महिला टेनिस के इतिहास की महानतम खिलाड़ी हैं। अगासी सार्वजनिक रूप से ज्यादा प्रसिद्ध और चहेते बने

श्रीलंका vs विंडीज टेस्ट सीरीज: एक विश्लेषण

अमूमन आपको एक क्रिकेट सीरीज में 2 तेज गेंदबाज लगातार 145+ किमी प्रति घण्टे की रफ्तार से गेंद फेंकते नहीं मिलेंगे। लेकिन ऐसा हुआ और उन दोनों ने दिखा दिया कि टेस्ट क्रिकेट कितना रोमांचक हो सकता है अगर गेंद और बल्ले के बीच एक संतुलन स्थापित हो। शेनॉन गैब्रिएल और लाहिरू कुमारा ने, अगर मुहावरे की शक्ल में बात करूं, तो अपनी गेंदबाज़ी से क्रिकेट टर्फ में आग लगा दी। सपोर्टिंग कास्ट भी देख लें। सुरंगा लकमल, कासुन रजिता, केमार रोच और जेसन होल्डर ने जान लगा दी। शेनॉन गैब्रिएल माइकल होल्डिंग और कॉर्टनी वॉल्श के बाद कैरिबियन में एक मैच में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज बने। 13 विकेट, 18 में से जो गिरे और हर एक सही गेंद ऐसे पड़ रही थी कि या तो विकेट ले ले या तो एक दो हड्डियाँ। जैसन होल्डर ने कल खत्म हुए मैच में 60 रन देकर 9 विकेट लिए और उनकी बॉल्स मुश्किल से 130 किमी से ज्यादा की गति से जा रही थी। वेस्टइंडीज ये दोनों मैच नहीं जीत पाई। गैब्रिएल वाला मैच ड्रा हुआ, होल्डर वाला वे हार गए जबकि होल्डर ने दोनों पारियों को मिलाकर सबसे ज्यादा रन भी बनाये थे। ये दोनों अद्भुत उपलब्धियां अतः हमें यही बतात

16 चौके, चार छक्के और बीते 35 साल.....

मोहिंदर अमरनाथ, रॉजर बिन्नी, मदनलाल और बलविंदर सिंह संधू बनाम एंडी रॉबर्ट्स, मैल्कम मार्शल, माइकल होल्डिंग और जोएल गार्नर किस चौकड़ी के ऊपर दाँव खेलना चाहेंगे? बैटिंग की बात करनी है तो वो भी कर लेते हैं। गावस्कर, मोहिंदर, संदीप पाटिल, कपिल देव बनाम गॉर्डन ग्रीनिज, डेसमंड हैन्स, विव रिचर्ड्स, लॉयड, लैरी गोमेज अब? मैं निस्संदेह भारत को छोड़कर दूसरी टीम पर पैसे लगाऊंगा। ठीक 35 साल पहले सट्टे का भाव 66:1 था। अगर जिसने भारत के ऊपर उस दिन पैसे लगाए होंगे, 66 गुना ज्यादा अमीर हुआ होगा। भारत को भी पता नहीं था कि आगे आने वाले समय में वह वर्ल्ड कप जीत क्रिकेट परिदृश्य को कैसे बदल कर रख देगी। जब कपिल लार्ड रोबर्ट कार से ट्रॉफी स्वीकार कर रहे थे, उन्हें इस बात की बिल्कुल आशंका नहीं थी कि अगला विश्व कप इंग्लैंड में नहीं खेला जाएगा। पिछले 3 लगातार इंग्लैंड में हुए थे, तीनों फाइनल्स लॉर्ड्स में खेले गए थे और दो विंडीज़ ने बड़ी शान से जीते थे। पर्दे के पीछे एक बात हुई और मैदान पर एक और। बीबीसी, जोकि 83 वर्ल्ड कप का प्रसारणकर्ता था, कर्मचारियों की हड़ताल की वजह से टनब्रिज ओवल में अपने

अर्जेंटीना-क्रोएशिया मुक़ाबले का नतीजा और अर्जेंटीनियन फुटबॉल का भविष्य

इस फुटबॉल विश्व कप में छोटी टीमों ने बड़ी टीमों के खिलाफ खेलने की एक सफल रणनीति बना ली है। आइसलैंड, पेरू, ऑस्ट्रेलिया, जापान, सेनेगल, ईरान व क्रोएशिया महान फुटबॉल देश नहीं हैं लेकिन वन-ऑन-वन मार्किंग, अपने खेमे में ज्यादे खिलाड़ियों को खड़ा रखना और जो भी मौका मिले, उसे भुनाने की पूरी कोशिश करना की कार्ययोजना ने उन्हें इस विश्व कप में अपना निशान छोड़ने लायक बनाया है। क्रोएशिया की टीम मुझे पिछले दो वर्ल्ड कप से याद है। उनसे विपक्षी पहले इसी बात से सशंकित रहते हैं कि उन सबकी हाइट 6 फ़ीट से ऊपर की है और वो फिजिकल गेम खेलने में यकीन रखते हैं। 2002 कि वर्ल्ड कप में, जब रोनाल्डो अपने खेल में शीर्ष पर थे, ने अथक परिश्रम कर 1-0 की अंतर से क्रोएशिया को हराया था। उनका डिफेंस शुरू से मजबूत रहा है। वो आपको टैकल करेंगे और गेंद निकलने नहीं देंगे। लेकिन अब उसी क्रोएशिया के पास इयान राकिटिक और लुका मोडरिक जैसे विश्वस्तरीय गोल स्कोरर्स भी हैं जो योरोप के सर्वश्रेष्ठ क्लब्स से खेलते हैं। कल अर्जेंटीना इतना बुरा भी नहीं खेली थी। 80 मिनट तक केवल एक ही गोल उनके खिलाफ हुआ था और वह भी उनके गोलकीपर की गलती से लेक

भारत का इंग्लैंड दौरा: रवि शास्त्री और विराट कोहली की तैयारियों का सच

एक आदमी कितना बड़ा बैल (नासमझ) हो सकता है, आप रवि शास्त्री और विराट कोहली के लेटेस्ट स्टेटमेंट से पता लगा सकते हैं। इन दोनों के अनुसार, हम इंग्लैंड में टेस्ट मैच खेलने से पहले इतना वनडे और T-20 खेल चुके होंगे कि टेस्ट मैच में तो इंग्लैंड का भरता ही बना देंगे। और इसीलिए हमने 'लाल गेंद' वाले अभ्यास मैच नहीं खेलने का निर्णय लिया। अभी सचिन, सौरव और शेन वॉर्न का स्टेटमेंट आया था कि दो नई बॉल्स ने वनडे क्रिकेट का सत्यानाश करके रख दिया हुआ है। पहले 300 बन जाते थे तो कल्याण हो जाता था, अब 500 भी बन सकते हैं और सबसे बड़ी बात कि सामने वाली टीम भी (खासकर न्यूज़ीलैंड और भारत) इतना बनाकर मैच जीत सकती हैं। टेस्ट मैच में 90 ओवर में 270 बन जाएं तो बहुत बड़ी बात है, चाहे इंग्लैंड हो या इंडिया। लाल ड्यूक या कूकाबुरा गेंद की बात ही अलग होती है और अगर मैच के दिन बादल छाए रहे और जेम्स एंडरसन को अपनी लय मिल गयी तो सामने वाली टीम 100 रन भी बना ले, बड़ी बात होगी। यह सब बातें और शर्ते 'सफेद कूकाबुरा' बॉल पर लागू नहीं होती क्योंकि वह स्विंग ही नहीं करती। अब इस तैयारी पर ये कैसे मैच जीतेंगे? चेतेश

अरल सागर के सूखने की दास्ताँ

यह बात मेरे संज्ञान में तकरीबन दो हफ्ते पहले आयी थी। अरल सागर सूख गया। एक ऐसी वाटर बॉडी जोकि एक समय पर दुनिया की चौथी सबसे बड़ी इनलैंड वाटर बॉडी थी, आज दो भागों में विभक्त है। उत्तरी अरल सागर तो कज़ाख़स्तान सरकार ने बचा लिया लेकिन दक्षिणी अपनी आखिरी सांसें गिन रहा है। यह सब इस नई पीढ़ी के सामने हो गया और संभव है, बहुतों को पता भी नहीं चला। स्टालिन कहा करते थे कि मनुष्य प्रकृति को विजित कर सकता है। इसी संकल्प से उन्होंने अरल सागर बेसिन में चेकडैम, कॉटन फील्ड प्रोजेक्ट और बिजली उत्पादक यूनिट्स की स्थापना की। कॉटन की खेती में पानी खूब लगता है, सो बहुत पानी इसमें लगा लेकिन आप कहेंगे कि यह सागर है, नमकीन पानी तो सब खराब कर दिया होगा तो अब भूगोल देख लेते हैं इस क्षेत्र का। अरल सागर को दो नदियाँ अपने जल से भरती रही हैं। एक अमु दरया और दूसरा सिर दरया। आपने इन्हें खूब पढ़ा होगा। अमु दरया पामीर पहाड़ों से और सिर, तियानशान पहाड़ियों से उद्गम पाता है। इलाका सेंट्रल एशिया का है जहाँ आपको पता है कि भयंकर ठंडक पड़ती है, अतः ये पहाड़ बर्फ से ढके रहते हैं और गर्मीयों में इन नदियों को जलप्लावित किये रहते हैं

फेक जर्नलिज्म का यूफोरिया

आशा करता हूँ कि सुनील छेत्री का नाम आपने सुना होगा। नहीं सुना है या जानते नहीं हैं तो तत्काल गूगल करिये। वैसे मैं लिख रहा हूँ तो बताऊंगा ही कि वे भारतीय फुटबॉल टीम के कप्तान हैं और हमारी टीम के सर्वोच्च गोल स्कोरर भी। अभी मैंने एक ख्यातिप्राप्त स्पोर्ट्स-पेज को अपनी फेसबुक फीड में यह कहते पाया कि सुनील, क्रिस्टियानो रोनाल्डो और लियोनेल मेसी के बाद दुनिया के वर्तमान में तीसरे सबसे ज्यादा अंतरराष्ट्रीय गोल करने वाले खिलाड़ी बन चुके हैं। कल चीनी ताइपे के विरूद्ध हमारा मैच था और सुनील ने एक हैटट्रिक स्कोर की थी। इसके अलावा सुनील स्कोर करते ही रहते हैं जब भी हमारी टीम इंटरनेशनल खेलती है। लेकिन मुझे इसकी सत्यता परखनी थी। सुनील की प्रतिभा पर शंका नहीं, ना ही जो नंबर्स मुझे दिखे उनपर लेकिन उनकी रैंक पर जरूर मुझे आपत्ति थी। रोनाल्डो ने अभी तक पुर्तगाल के लिए 81 गोल किये हैं। मेसी ने अर्जेंटीना के लिए 64 और सुनील ने भारत के लिए 59. ये अद्भुत नंबर्स हैं लेकिन रोनाल्डो की रैंक तीसरी, मेस्सी की 18वीं और सुनील की 20वीं है। सुनील अभी लिस्ट में स्पेन के महान खिलाड़ी डेविड विला के साथ खड़े हैं। दुनिया

My Problems with Film Critics' Darling of 2017-18 Film Season, 'Call Me by Your Name"

Watched 'Call me by your name' three days ago. I wasn't enthralled by what I saw except for last 40 minutes which started with Sufjan Stevens' song 'mystery of love'. Ever since I have listened to this song, I must say I have fallen in love with it. It was my primary reason to watch this film. Secondly, the reviews among which one told me that I might get to witness in it some of the most romantic and heart-touching moments of film history. I must say I was disappointed at this front. Except for the last few moments of film where Elio gets a call from Oliver and then sheds tears of detection all alone, I didn't feel involved in it. Like the Forbes' critic said, I found it an 'excruciatingly boring travelogue'. I agree with the vision Luca Guadagnino had for this film. First love was shown with all its glory in it but what was Elio doing with Marzia, his girlfriend first and then only friend? Also, I failed to understand why wasn't Elio inte

'नेशनल स्पेलिंग बी' प्रतियोगिता में भारतीयों का दबदबा और भारत सरकार की 'ब्रेन-ड्रेन' रोकने की नाकामी

एक ओर जहाँ बांग्लादेश वीमेन टीम ने भारतीय टीम तो एक ही प्रतियोगिता में दो बार हराकर मूड ऑफ कर दिया (बांग्लादेश हालाँकि दोनों ही मैचों में हमसे बीस था और अच्छा खेला), वहीं अभी मैंने नेशनल स्पेलिंग बी प्रतियोगिता में, जो हर साल अमेरिका में आयोजित होती है, चार भारतवंशियों को सेमीफाइनल राउंड में जगह बनाते देखा। यह रिपीट टेलीकास्ट था। मैंने पहले 2 राउंड्स देखे थे लेकिन इसका समापन इतना शानदार होगा भारतीय डायस्पोरा के लिए, विश्वास नहीं था। पिछले 6-7 वर्षों में तो भारतवंशियों ने बिल्कुल वर्चस्व स्थापित किया है इस बेहद प्रतिष्ठित प्रतियोगिता में और उनके सामने कोई टिक ही नहीं पाता। चारों प्रतियोगी डलास (टेक्सास) राज्य से थे और जब कमेंटेटर ने इस बात की सूचना दी तो एक बार को दिल बैठ गया। इनकी प्रतिभा भारत की स्वाभाविक संपत्ति थी लेकिन उचित सुविधाओं और मौकों के अभाव में अब ये हमारे साथ नहीं हैं। अब ये अमेरिका की शान आगे आने वाले कई सालों तक बढ़ाएंगे और हम इन्हें टीवी पर देखकर बेहद आह्लादित और थोड़े दुखी होंगे। अभी यह भी पता चला कि करीब साढ़े 3 लाख ऍप्लिकेशन्स अमेरिका के नागरिकता विभाग को अमेरिकन नाग

कहानी स्कॉटिश क्रिकेट की......

99 का वर्ल्ड कप कई मायनों में यादगार था। क्रिकेट वैसे तो टीम स्पोर्ट है लेकिन इसमे एक खिलाड़ी का व्यक्तिगत प्रदर्शन कई बार टीम के प्रदर्शन को प्रभावित और परिभाषित करता है। 99 कि वर्ल्ड कप से आपको लांस क्लूजनर, नील जॉनसन (ज़िम्बाब्वे) और शेन वार्न याद होंगे लेकिन उसी विश्व कप में स्कॉटलैंड ने अपना डेब्यू किया था और उनकी उस उपलब्धि का जिम्मेदार केवल एक खिलाड़ी था: गेविन हैमिलटन। गेविन हैमिलटन एक शानदार आलराउंडर थे और उनकी योग्यता का प्रमाण उनका कुछ दिनों के लिए इंग्लैंड की ओर से इंटरनेशनल क्रिकेट खेलना था। विश्व के कुछ चुनिंदा खिलाड़ियों में से एक जिन्होंने दो देशों के लिए अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेला। अगर आपने स्कॉटलैंड,आयरलैंड और वेल्श का इतिहास पढ़ा होगा तो आपको पता होगा कि ये ग्रेट ब्रिटेन का हिस्सा रहे हैं और इंग्लैंड के पूर्व उपनिवेश भी। आयरलैंड का उत्तरी हिस्सा तो इंग्लैंड की वफादारी करता है लेकिन दक्षिणी पूरा आज़ाद है। स्कॉटलैंड अपनी आर्थिक क्रियाकलापों के सुचारू संचालन के लिए ना चाहते हुए भी इंग्लैंड से जुड़ा हुआ है। इनकी इंग्लैंड के साथ सदियों पुरानी दुश्मनी रही है और आज मैं फिर से कह

धड़क की दुविधायें

यार हमने सैराट नहीं देखी। बहुत बड़ी गलती हो गयी लेकिन अंग्रेज़ी सबटाइटल्स रिलीज के वक़्त मिले नहीं और फ़िल्म वॉचलिस्ट में कहीं बहुत पीछे छूट गयी। अब वह लवस्टोरी थी, इतना पता है। लड़की तो 16 साल की ही थी उसकी। ग़दर इतना मचाई फ़िल्म महाराष्ट्र में कि सिनेमाघरों को सुबह और शाम में एक-एक शो बढ़ाने पड़े थे। और भी कई सारे रिकार्ड्स इसने तोड़ डाले। अब कल धड़क का ट्रेलर आया। भाई, मुझे बहुत पसंद आया। अब ये अंग्रेज़ी पढ़ने वाले बॉलीवुड के बच्चों को हिंदी बोलने तो आती नहीं तो उनसे राजस्थानी कैसे बोलवा लोगे? बस एक्सेंट की समस्या आ गयी। बाकी जाह्नवी को टारगेट कर रहे कि फेसिअल एक्सप्रेशन नहीं हैं। अब हम आप एक्टिंग गुरु तो हैं नहीं और हमसे आपसे भी बहुत अच्छी शक्ल नहीं बन पाती। इस बीच बेचारा शाहिद का भाई नज़रंदाज़ हो गया। अरे उसको भी गरिया लो। करण जौहर को अम्बानी इतना ही गरियाओ लेकिन उसे रत्ती भर भी फ़र्क़ नहीं पड़ेगा। इसीलिये मैंने सेफ खेलते हुए कल केवल 'आशुतोष राणा' के बारे में लिखा था। मुद्दे की बात यह है कि जो फ़ोटो नीचे लगी है, इसे देखकर हँस लो लेकिन यह भी जान लो कि एक फ़िल्म बड़ी मेहनत से बनती है और उस

आयरिश क्रिकेट का 'अद्भुत' उद्भव

14 मार्च, 2007 क्रिकेट इतिहास में यह तारीख बेहद खास है। इस दिन वर्ल्ड कप इतिहास के दो सबसे बड़े उलटफेर हुए। बांग्लादेश, भारत को गुयाना में हरा रहा था और आयरलैंड, पाकिस्तान को जमैका में। वर्ल्ड कप के जो संयोजक थे, उनके हाथ-पाँव फूल रहे थे क्योंकि पाकिस्तान और भारत विश्व क्रिकेट की दो सबसे लोकप्रिय टीम्स थीं और एक ही शाम में दो बड़ी टीम्स का वर्ल्ड कप से बाहर हो जाना, तीसरे हार्ट अटैक का आना था। यह कहने की जरूरत नहीं कि आगे का वर्ल्ड कप कैसे बीता। वर्ल्ड कप इतिहास का सबसे बोरिंग और अलोकप्रिय संस्करण। रही-सही कसर अगले दिन 8 तारीख को पूरी हो गयी जब बॉब वूल्मर का शव उनके होटल कमरे से संदेहास्पद परिस्थितियों में मिला। पाकिस्तानी दोस्त तो बुरी तरह टूट गए थे, हमारा रहा-सहा हिसाब किताब 3 दिनों बाद श्रीलंका ने पूरा कर दिया। लेकिन उस विश्व कप में कुछ नई बातें तो हुई ही जिसने विश्व क्रिकेट का इतिहास और नक्शा ही बदल दिया। बांग्लादेश ने ना केवल भारत को हराया बल्कि सुपर 8 में साउथ अफ्रीका को भी पीटा। आयरलैंड ने अपने राष्ट्रीय त्यौहार, सेंट पैट्रिक डे पर पाकिस्तान को हराया था। यह तारीख आयरिश कैलेंडर

माँ और डोमिनोज़ पिज़्ज़ा: आजकल का मदर डे

यह डे-वे कहाँ से आ जा रहे, पता नहीं चल रहा। जो लोग 'प्यूरिस्ट' हैं, वे कहते हैं 'सब दिन एक बराबर'। जो लोग समय का तकाजा लिए जी रहे हैं, उनके लिये ये 'मौके' हैं। मैं तिरस्कार नहीं कर सकता इन 'डे' बनाने वालों का क्योंकि कृतज्ञता प्रकट करना कोई आसान काम नहीं है। इन 'डेज' में हिम्मत और टूल्स आ जाते हैं आपके पास जो आपकी हिचक मिटा जाते हैं। यूट्यूब देखने वाले कल परसो से एक ऐड देख रहे होंगे डोमिनोज पिज़्ज़ा का। एक पुत्र अपनी बूढ़ी माता जी को यह कहकर वृद्धाश्रम छोड़ आता है कि उसके और उसकी पत्नी के पास समय नहीं है इनकी देखभाल का। प्रेम और आत्मीयता प्रगाढ़ है वैसे, आप देख के कह सकते हैं। बेटे को पिज़्ज़ा बहुत पसंद है और माँ वृद्धाश्रम में अपने काम से की हुई कमाई से एंड्रॉइड फ़ोन पर बेटे के मनपसंद पिज़्ज़ा का आर्डर दे देती है। लड़का वो पिज़्ज़ा लेकर सीधे माँ के पास आता है, साथ मे पत्नी और बेटी भी हैं। सब राज़ी-खुशी। वीडियो यह नहीं दिखाता टिपिकल बॉलीवुड जैसे कि माँ अब घर आ गयी है। ना, क्योंकि समाज अब बदल रहा है। आप उस पुत्र की भर्त्सना नहीं कर सकते जो लाख कोशिशों के बा

काँग्रेस की कुछ पाली हुईं ग़लतफ़हमियाँ

1. मोदी की कैंपेनिंग 'चकाचौंध और झूठ-पर-झूठ' पर टिकी हुई है। सच्चाई: अटल बिहारी वाजपेयी का इंडिया शाइनिंग कैंपेन 2004 में कैसा ध्वस्त हुआ था, भाजपा भूली नहीं है। 2. पढ़े-लिखे लोग भी मोदी के झूठ से प्रभावित होकर उन्हें वोट देते हैं। सच्चाई: हिंदुस्तान में पढ़े-लिखे लोग वोट देते ही नहीं। 3. राहुल गाँधी चुनावों में बहुत मेहनत कर रहे हैं। सच्चाई: मोदी उससे भी ज्यादे कर रहे हैं। 4. मोदी नफरत का माहौल बना रहे हैं। सच्चाई: फिर आप प्रेम का संदेश क्यों नहीं बाँट रहे? ममता बनर्जी जिस परिपाटी पर फिलहाल चल रही हैं, उस हिसाब से तो मार्क्सवाद भी रामराज जैसा अब प्रतीत हो रहा है। 5. मोदी विकास नहीं कर रहे और केवल उद्योगपतियों को फायदा पहुंचा रहे हैं। सच्चाई: यह सच है कि हिंदुस्तान की जनता विकास के नाम पर वोट नहीं देती लेकिन 'विकास' हुआ है। यह आप हम नहीं कह रहे जबकि विदेशी थिंकटैंक कह रहे हैं और जहाँ तक उद्योगपतियों की बात है तो बुरा माने या भला लेकिन विकास के इंजन हमेशा वही होते हैं। और फिर रवीश के शब्दों में जिन्हें लोग भाजपा विरोधी मानते हैं: 'जिस हिसाब से काँग्

लविंग विंसेंट (वैन गॉफ)......

एनिमेटेड फिल्म्स बहुत देखी होंगी आपने। इनका खुद का अपना परिपक्व संसार है और जापानियों ने तो इतनी संवेदनाएं जोड़ दी हैं इस विधा में कि आजकल बड़े-बड़े सुपरस्टार्स इन एनिमेटेड किरदारों के सामने नहीं टिकते। लेकिन हॉलीवुड भी कम बहादुर नहीं है। जो हैडिंग ऊपर डाली है, उसका ब्रैकेट वाला पोर्शन हटा दें तो वही अपनी फिल्म का नाम है। विंसेंट कौन? विंसेंट वैन गॉफ। शायद यह दुनिया के इकलौते ऐसे कलाकार रहे हैं जिन्हें इनके सरनेम से ज्यादा जाना जाता है। बात यह भी सही है कि दुनिया ने इन्हें इनकी मौत के बाद ही सारी इज़्ज़त बख्शी। एक कलाकार सनकी होता है, उसे अकेलापन पसंद होता है क्योंकि वह भीड़भाड़ में काम नहीं कर सकता। उसकी सीमाएं होती हैं और आपको वह उसमे प्रवेश नहीं करने देना चाहेगा। आप उसे बिल्कुल गलत समझ सकते हैं लेकिन गलत आप हैं, वह नहीं। नज़रिया आपका गलत है क्योंकि वही सनक उसकी ज़िन्दगी है। विंसेंट वैन गॉफ ताउम्र संघर्ष करते रहे। एक अच्छे डच परिवार में पैदाइश, देखभाल करने वाले अभिभावक और जान न्यौछावर करने वाला छोटा भाई, थियो वैन गॉफ। पढ़ाई में मन नहीं लगा तो आर्ट डीलर बने। वहाँ असफलता मिली तो चर्च में मिश

ए बी डिवीलिएर्स के खेल जीवन को श्रद्धांजलि

एक बार सुनील गावस्कर, सचिन से कुछ बात कर रहे थे और सहवाग वहीं बैठ कर सुन रहे थे। अब सचिन और गावस्कर पढ़े-पढ़ाये-सिखाये गए क्रिकेटर्स और सहवाग का तो आपको पता ही है। बँदा तपाक से कहता है: जब आप लोग क्रिकेट के बारे में बात करते हो तो लगता है कि यह कितना टेढ़ा गेम है, कोई खेल ही नहीं सकता। तो सहवाग की क्रिकेट फिलॉसफी यही थी कि गेंद देखो और मारो। ना समझ मे आये तो छोड़ दो। सिंपल। अब लारा का भी यही था। गिलक्रिस्ट का भी और एबी डिविलियर्स का भी। कल राहुल ने भी ट्वीट करके कहा कि एबी ने उनसे यही कहा था कि क्रिकेट को बहुत आसान समझकर खेलोगे तो यह खेल तुम्हें बहुत कुछ वापस देगा। अब राहुल का गेम देख लें। क्रिकेट वाकई आसान खेल है लेकिन बूम बूम बैंग बैंग स्टाइल में। आपको अगर टेस्ट मैच खेलने हैं तो सचिन, गावस्कर, द्रविड़, चंद्रपाल, कैलिस और स्टीव वॉ जैसे इसे 'सीखना' ही होगा। लेकिन अगर एक बँदा जिसने टेस्ट मैच को भी उतनी ही आसानी से खेला जैसे वनडे और टी-20 तो वह डीविलियर्स ही थे। शायद वैसी ऑथोरिटी विवियन रिचर्ड्स के पास ही थी। लोग बैरी रिचर्ड्स की भी बात करते हैं लेकिन यह हमारा दुर्भाग्य है कि हम उ

सौरव गांगुली, वी वी एस लक्ष्मण और टेस्ट क्रिकेट में 'महानता' के पैमाने

टेस्ट क्रिकेट में महानता के दो पैमाने: 50 से ज्यादा का बैटिंग एवरेज और ऑस्ट्रेलिया में शतक। V V S लक्ष्मण और सौरव गाँगुली दोनों के पास दूसरा पैरामीटर था, पहला नहीं। लक्ष्मण का कैरियर एवरेज 45 और गाँगुली का 42। 40+ बैटिंग एवरेज मतलब आप बहुत अच्छे हो और टेस्ट क्रिकेट खेल सकते हो। 50 का मतलब आप महान हो और गिने चुने बेहतरीन खिलाड़ियों की जमात में हो। संगकारा ने गाँगुली के कैरियर समाप्ति पर एक लेख लिखा था। ट्रिब्यूट था वह। ऊपर जो दो पैरामीटर्स मैंने सुझाये हैं, वे बिल्कुल भी सही या तर्कसंगत नहीं हैं लेकिन बहुतायत ऐसा सोचते हैं। आजकल के बेचारे नये खिलाड़ी टेस्ट मैच में एक शतक बना लें, वही बड़ी बात है, 15-20 तो दूर की कौड़ी है। मैं तो ग्रेम हिक और मार्क रामप्रकाश को भी अपने खेल के महानतम खिलाड़ियों में गिनता हूँ कि क्योंकि उन्हें महारत हासिल थी, यद्यपि टेस्ट मैच में उनका कैरियर 30+ के औसत के साथ खत्म हुआ। तो संगकारा की बात पर आते हैं। गाँगुली उनके आदर्श थे। सोचिए 21वीं के महानतम खिलाड़ियों में से एक का आदर्श वह खिलाड़ी जिसका औसत पहले से 15 पॉइंट कम लेकिन संगकारा का मानना था कि गाँगुली अगर 6 नंबर

लिवरपूल के २७ मई के अभियान के बारे में...

आज फुटबॉल के बारे में..... जीवन में विकल्पहीनता की स्थिति भरसक नहीं आनी चाहिए। क्रिकेट मेरी पहली पसंद है लेकिन अगर क्रिकेट नहीं तो फिर क्या? ऐसी स्थिति आप सबके समक्ष भी आती होगी। मेरे विकल्प टेनिस, फुटबॉल, बैडमिंटन, मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स इत्यादि हैं। टेनिस मैं इसलिए देखता हूँ क्योंकि एक खिलाड़ी अकेले दम पर क्या हासिल कर सकता है, आप टेनिस से सीख सकते हैं। बैडमिंटन जरा लो प्रोफाइल गेम है लेकिन टेम्परामेंट की परीक्षा टेनिस इतनी ही लेता है। फील्ड हॉकी और फुटबॉल क्रिकेट के समकक्ष हैं क्योंकि दोनों में 11 खिलाड़ी होते हैं और दोनों आउटडोर स्पोर्ट्स हैं जिन्हें जनता का भरपूर प्यार और समर्थन मिलता है। हॉकी भारतीयों में जितना देशप्रेम का संचार करती है, मेरे ख्याल से क्रिकेट उसके आसपास भी नहीं फटकता और फुटबॉल, इसके कहने ही क्या? दुनिया में खेलों के पीछे जितने फसाद हुए हैं, उसमें फुटबॉल नंबर 1 है। और देशों की बात छोड़ दें, यहाँ परिदृश्य अब क्लब्स का है। क्लब फुटबॉल राष्ट्रीय फुटबॉल से ज्यादा आकर्षक, प्रतिस्पर्धी और कमाऊ है। लियोनेल मेसी, नेमार, रोनाल्डो, ग्रीज़मान, बेल और मोहम्मद सालाह जैसे खिलाड़ि