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Showing posts from May, 2018

आयरिश क्रिकेट का 'अद्भुत' उद्भव

14 मार्च, 2007 क्रिकेट इतिहास में यह तारीख बेहद खास है। इस दिन वर्ल्ड कप इतिहास के दो सबसे बड़े उलटफेर हुए। बांग्लादेश, भारत को गुयाना में हरा रहा था और आयरलैंड, पाकिस्तान को जमैका में। वर्ल्ड कप के जो संयोजक थे, उनके हाथ-पाँव फूल रहे थे क्योंकि पाकिस्तान और भारत विश्व क्रिकेट की दो सबसे लोकप्रिय टीम्स थीं और एक ही शाम में दो बड़ी टीम्स का वर्ल्ड कप से बाहर हो जाना, तीसरे हार्ट अटैक का आना था। यह कहने की जरूरत नहीं कि आगे का वर्ल्ड कप कैसे बीता। वर्ल्ड कप इतिहास का सबसे बोरिंग और अलोकप्रिय संस्करण। रही-सही कसर अगले दिन 8 तारीख को पूरी हो गयी जब बॉब वूल्मर का शव उनके होटल कमरे से संदेहास्पद परिस्थितियों में मिला। पाकिस्तानी दोस्त तो बुरी तरह टूट गए थे, हमारा रहा-सहा हिसाब किताब 3 दिनों बाद श्रीलंका ने पूरा कर दिया। लेकिन उस विश्व कप में कुछ नई बातें तो हुई ही जिसने विश्व क्रिकेट का इतिहास और नक्शा ही बदल दिया। बांग्लादेश ने ना केवल भारत को हराया बल्कि सुपर 8 में साउथ अफ्रीका को भी पीटा। आयरलैंड ने अपने राष्ट्रीय त्यौहार, सेंट पैट्रिक डे पर पाकिस्तान को हराया था। यह तारीख आयरिश कैलेंडर

माँ और डोमिनोज़ पिज़्ज़ा: आजकल का मदर डे

यह डे-वे कहाँ से आ जा रहे, पता नहीं चल रहा। जो लोग 'प्यूरिस्ट' हैं, वे कहते हैं 'सब दिन एक बराबर'। जो लोग समय का तकाजा लिए जी रहे हैं, उनके लिये ये 'मौके' हैं। मैं तिरस्कार नहीं कर सकता इन 'डे' बनाने वालों का क्योंकि कृतज्ञता प्रकट करना कोई आसान काम नहीं है। इन 'डेज' में हिम्मत और टूल्स आ जाते हैं आपके पास जो आपकी हिचक मिटा जाते हैं। यूट्यूब देखने वाले कल परसो से एक ऐड देख रहे होंगे डोमिनोज पिज़्ज़ा का। एक पुत्र अपनी बूढ़ी माता जी को यह कहकर वृद्धाश्रम छोड़ आता है कि उसके और उसकी पत्नी के पास समय नहीं है इनकी देखभाल का। प्रेम और आत्मीयता प्रगाढ़ है वैसे, आप देख के कह सकते हैं। बेटे को पिज़्ज़ा बहुत पसंद है और माँ वृद्धाश्रम में अपने काम से की हुई कमाई से एंड्रॉइड फ़ोन पर बेटे के मनपसंद पिज़्ज़ा का आर्डर दे देती है। लड़का वो पिज़्ज़ा लेकर सीधे माँ के पास आता है, साथ मे पत्नी और बेटी भी हैं। सब राज़ी-खुशी। वीडियो यह नहीं दिखाता टिपिकल बॉलीवुड जैसे कि माँ अब घर आ गयी है। ना, क्योंकि समाज अब बदल रहा है। आप उस पुत्र की भर्त्सना नहीं कर सकते जो लाख कोशिशों के बा

काँग्रेस की कुछ पाली हुईं ग़लतफ़हमियाँ

1. मोदी की कैंपेनिंग 'चकाचौंध और झूठ-पर-झूठ' पर टिकी हुई है। सच्चाई: अटल बिहारी वाजपेयी का इंडिया शाइनिंग कैंपेन 2004 में कैसा ध्वस्त हुआ था, भाजपा भूली नहीं है। 2. पढ़े-लिखे लोग भी मोदी के झूठ से प्रभावित होकर उन्हें वोट देते हैं। सच्चाई: हिंदुस्तान में पढ़े-लिखे लोग वोट देते ही नहीं। 3. राहुल गाँधी चुनावों में बहुत मेहनत कर रहे हैं। सच्चाई: मोदी उससे भी ज्यादे कर रहे हैं। 4. मोदी नफरत का माहौल बना रहे हैं। सच्चाई: फिर आप प्रेम का संदेश क्यों नहीं बाँट रहे? ममता बनर्जी जिस परिपाटी पर फिलहाल चल रही हैं, उस हिसाब से तो मार्क्सवाद भी रामराज जैसा अब प्रतीत हो रहा है। 5. मोदी विकास नहीं कर रहे और केवल उद्योगपतियों को फायदा पहुंचा रहे हैं। सच्चाई: यह सच है कि हिंदुस्तान की जनता विकास के नाम पर वोट नहीं देती लेकिन 'विकास' हुआ है। यह आप हम नहीं कह रहे जबकि विदेशी थिंकटैंक कह रहे हैं और जहाँ तक उद्योगपतियों की बात है तो बुरा माने या भला लेकिन विकास के इंजन हमेशा वही होते हैं। और फिर रवीश के शब्दों में जिन्हें लोग भाजपा विरोधी मानते हैं: 'जिस हिसाब से काँग्

लविंग विंसेंट (वैन गॉफ)......

एनिमेटेड फिल्म्स बहुत देखी होंगी आपने। इनका खुद का अपना परिपक्व संसार है और जापानियों ने तो इतनी संवेदनाएं जोड़ दी हैं इस विधा में कि आजकल बड़े-बड़े सुपरस्टार्स इन एनिमेटेड किरदारों के सामने नहीं टिकते। लेकिन हॉलीवुड भी कम बहादुर नहीं है। जो हैडिंग ऊपर डाली है, उसका ब्रैकेट वाला पोर्शन हटा दें तो वही अपनी फिल्म का नाम है। विंसेंट कौन? विंसेंट वैन गॉफ। शायद यह दुनिया के इकलौते ऐसे कलाकार रहे हैं जिन्हें इनके सरनेम से ज्यादा जाना जाता है। बात यह भी सही है कि दुनिया ने इन्हें इनकी मौत के बाद ही सारी इज़्ज़त बख्शी। एक कलाकार सनकी होता है, उसे अकेलापन पसंद होता है क्योंकि वह भीड़भाड़ में काम नहीं कर सकता। उसकी सीमाएं होती हैं और आपको वह उसमे प्रवेश नहीं करने देना चाहेगा। आप उसे बिल्कुल गलत समझ सकते हैं लेकिन गलत आप हैं, वह नहीं। नज़रिया आपका गलत है क्योंकि वही सनक उसकी ज़िन्दगी है। विंसेंट वैन गॉफ ताउम्र संघर्ष करते रहे। एक अच्छे डच परिवार में पैदाइश, देखभाल करने वाले अभिभावक और जान न्यौछावर करने वाला छोटा भाई, थियो वैन गॉफ। पढ़ाई में मन नहीं लगा तो आर्ट डीलर बने। वहाँ असफलता मिली तो चर्च में मिश

ए बी डिवीलिएर्स के खेल जीवन को श्रद्धांजलि

एक बार सुनील गावस्कर, सचिन से कुछ बात कर रहे थे और सहवाग वहीं बैठ कर सुन रहे थे। अब सचिन और गावस्कर पढ़े-पढ़ाये-सिखाये गए क्रिकेटर्स और सहवाग का तो आपको पता ही है। बँदा तपाक से कहता है: जब आप लोग क्रिकेट के बारे में बात करते हो तो लगता है कि यह कितना टेढ़ा गेम है, कोई खेल ही नहीं सकता। तो सहवाग की क्रिकेट फिलॉसफी यही थी कि गेंद देखो और मारो। ना समझ मे आये तो छोड़ दो। सिंपल। अब लारा का भी यही था। गिलक्रिस्ट का भी और एबी डिविलियर्स का भी। कल राहुल ने भी ट्वीट करके कहा कि एबी ने उनसे यही कहा था कि क्रिकेट को बहुत आसान समझकर खेलोगे तो यह खेल तुम्हें बहुत कुछ वापस देगा। अब राहुल का गेम देख लें। क्रिकेट वाकई आसान खेल है लेकिन बूम बूम बैंग बैंग स्टाइल में। आपको अगर टेस्ट मैच खेलने हैं तो सचिन, गावस्कर, द्रविड़, चंद्रपाल, कैलिस और स्टीव वॉ जैसे इसे 'सीखना' ही होगा। लेकिन अगर एक बँदा जिसने टेस्ट मैच को भी उतनी ही आसानी से खेला जैसे वनडे और टी-20 तो वह डीविलियर्स ही थे। शायद वैसी ऑथोरिटी विवियन रिचर्ड्स के पास ही थी। लोग बैरी रिचर्ड्स की भी बात करते हैं लेकिन यह हमारा दुर्भाग्य है कि हम उ

सौरव गांगुली, वी वी एस लक्ष्मण और टेस्ट क्रिकेट में 'महानता' के पैमाने

टेस्ट क्रिकेट में महानता के दो पैमाने: 50 से ज्यादा का बैटिंग एवरेज और ऑस्ट्रेलिया में शतक। V V S लक्ष्मण और सौरव गाँगुली दोनों के पास दूसरा पैरामीटर था, पहला नहीं। लक्ष्मण का कैरियर एवरेज 45 और गाँगुली का 42। 40+ बैटिंग एवरेज मतलब आप बहुत अच्छे हो और टेस्ट क्रिकेट खेल सकते हो। 50 का मतलब आप महान हो और गिने चुने बेहतरीन खिलाड़ियों की जमात में हो। संगकारा ने गाँगुली के कैरियर समाप्ति पर एक लेख लिखा था। ट्रिब्यूट था वह। ऊपर जो दो पैरामीटर्स मैंने सुझाये हैं, वे बिल्कुल भी सही या तर्कसंगत नहीं हैं लेकिन बहुतायत ऐसा सोचते हैं। आजकल के बेचारे नये खिलाड़ी टेस्ट मैच में एक शतक बना लें, वही बड़ी बात है, 15-20 तो दूर की कौड़ी है। मैं तो ग्रेम हिक और मार्क रामप्रकाश को भी अपने खेल के महानतम खिलाड़ियों में गिनता हूँ कि क्योंकि उन्हें महारत हासिल थी, यद्यपि टेस्ट मैच में उनका कैरियर 30+ के औसत के साथ खत्म हुआ। तो संगकारा की बात पर आते हैं। गाँगुली उनके आदर्श थे। सोचिए 21वीं के महानतम खिलाड़ियों में से एक का आदर्श वह खिलाड़ी जिसका औसत पहले से 15 पॉइंट कम लेकिन संगकारा का मानना था कि गाँगुली अगर 6 नंबर

लिवरपूल के २७ मई के अभियान के बारे में...

आज फुटबॉल के बारे में..... जीवन में विकल्पहीनता की स्थिति भरसक नहीं आनी चाहिए। क्रिकेट मेरी पहली पसंद है लेकिन अगर क्रिकेट नहीं तो फिर क्या? ऐसी स्थिति आप सबके समक्ष भी आती होगी। मेरे विकल्प टेनिस, फुटबॉल, बैडमिंटन, मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स इत्यादि हैं। टेनिस मैं इसलिए देखता हूँ क्योंकि एक खिलाड़ी अकेले दम पर क्या हासिल कर सकता है, आप टेनिस से सीख सकते हैं। बैडमिंटन जरा लो प्रोफाइल गेम है लेकिन टेम्परामेंट की परीक्षा टेनिस इतनी ही लेता है। फील्ड हॉकी और फुटबॉल क्रिकेट के समकक्ष हैं क्योंकि दोनों में 11 खिलाड़ी होते हैं और दोनों आउटडोर स्पोर्ट्स हैं जिन्हें जनता का भरपूर प्यार और समर्थन मिलता है। हॉकी भारतीयों में जितना देशप्रेम का संचार करती है, मेरे ख्याल से क्रिकेट उसके आसपास भी नहीं फटकता और फुटबॉल, इसके कहने ही क्या? दुनिया में खेलों के पीछे जितने फसाद हुए हैं, उसमें फुटबॉल नंबर 1 है। और देशों की बात छोड़ दें, यहाँ परिदृश्य अब क्लब्स का है। क्लब फुटबॉल राष्ट्रीय फुटबॉल से ज्यादा आकर्षक, प्रतिस्पर्धी और कमाऊ है। लियोनेल मेसी, नेमार, रोनाल्डो, ग्रीज़मान, बेल और मोहम्मद सालाह जैसे खिलाड़ि

ऐतिहासिक आयरिश टेस्ट मैच की कहानी

बेलफ़ास्ट नक्शे में खोजना जरा। डबलिन भी खोज लेना। फिर बताना कि दोनों में अन्तर क्या है? चलो, अन्तर मैं बता देता हूँ क्योंकि प्रसंग ऐतिहासिक है। आयरलैंड एक नहीं दो हैं। एक आयरलैंड, दूसरा उत्तरी आयरलैंड। उत्तरी आयरलैंड क्रिकेट खेलता है, दूसरा नहीं। उत्तरी आयरलैंड में ही बेलफ़ास्ट है, उसकी राजधानी। यह वही जगह है जहाँ टाइटैनिक बना था। अपनी आज़ादी से पहले दोनों एक ही थे, बाद में टूटे और उसके पीछे कुछ बाध्यताएं थीं। मैंने पिछले पोस्ट में बताया था कि स्कॉटलैंड और आयरलैंड का औपनिवेशिक इतिहास बहुत ही दुःखद है। आज स्कॉटलैंड और नॉर्थर्न आयरलैंड, दोनों ग्रेट ब्रिटेन के हिस्से हैं। कारण आर्थिक और राजनीतिक हैं। दोनों अभी भी अंग्रेजों से घृणा करते हैं लेकिन यूरोपियन यूनियन जैसे मजबूत संघ की सदस्यता और इंग्लैंड जैसे मजबूत राष्ट्र की सरपरस्ती उन्हें अपने कल्याण के लिए नागवार नहीं गुज़री। आज इन दोनों देशों के खिलाड़ी इंग्लैंड के विभिन्न क्लब्स और कॉउंटी के लिए खेलते हैं। मैनचेस्टर यूनाइटेड के प्रशंसक रयान गिग्ग्स को नहीं भूल सकते और वह उत्तरी आयरलैंड के ही रहने वाले हैं। आयरलैंड की जो टीम अभी मालाहाईड मे

Narcos: Netflix's Homage to Pablo Escobar

I was scheduled to write about this titular personality. Pablo Escobar was world's most notorious, wanted and inhuman narco-terrorist. You need to understand the word 'narco-terrorist' here. Narco relates to Narcotics, one branch of science that studies the impact of drugs (not medicinal) on human body. Narcotics is usually associated with drugs like heroine, cocaine, meth, marijuana etc. And when a person who deals in these drugs and goes to an extent to kill someone who opposes this trade, he is called not a murderer but a 'narco-terrorist'. Pablo Escobar hailed from the South American nation of Colombia. Two weeks prior to this write-up, I hadn't had any gumption of him. I am an Indian. Why does it matter if I hadn't heard of a gangster from South America? But today, we have got internet and thus through it, information floats. I am presently not that much occupied with my schedule, so decided to opt for a Netflix series. I have been their huge fan sinc