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Showing posts from November, 2018

जमाल खोसागजी हत्याकांड: सऊदी अरब-अमेरिका रिश्तों में खटास

सऊदी अरब का शेयर मार्केट रविवार को 7% गिर गया जिसका मतलब यह हुआ कि जितना भी इसने 2018 की शुरुआत में निवेशकों के लिए बनाया था, वह सब रविवार की बाजार में डूब गया। मूल कारण वाशिंगटन पोस्ट के स्तंभकार जमाल खोसागजी की टर्की के सऊदी दूतावास में एक मीटिंग के बाद रहस्यमयी परिस्थितियों में हुई हत्या है जिसका ज़िम्मेदार अमेरिका सऊदी अरब को मान रहा है। टर्की ने भी इस बात को हवा दी है कि हत्या का कारण कहीं ना कहीं सऊदी अरब दूतावास से ही जुड़ा है और वहां के अधिकारियों ने लोकल पुलिस को अभी तक मामले की जांच-पड़ताल की इजाज़त नहीं दी है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने सऊदी अरब को गंभीर परिणाम भुगतने की चेतावनी दी है अगर उसे इस बात के सबूत मिलते हैं कि कमाल की हत्या सऊदी के इशारे पर हुई है। रियाद में एक बहुत बड़ी इन्वेस्टर्स समिट होने वाली थी जिसे कवर करने के लिए CNN, न्यूयॉर्क टाइम्स, द इकोनॉमिस्ट, ब्लूमबर्ग इत्यादि रियाद जाने वाले थे। उबेर, वर्जिन ग्रुप और वायाकॉम जैसी कंपनियों का वहाँ निवेश करने का सुनिश्चित प्लान था जो फिलवक्त खटाई में पड़ गया है। ऊपर से सऊदी प्रिंस सलमान जिनका अपने देश मे सुधारों क

विराट कोहली: एक 'बदजुबान' राष्ट्रीय कप्तान

आज थोड़ी देर से पता चला कि ज़ुबान पर लगाम ना हो तो उसका क्या अंजाम होता है। तो हुआ यूं कि कोहली ने अपने नाम से लांच हुए नए एप्प के प्रमोशन के दौरान अपने को ट्रोल किये गए कुछ ट्वीट्स के जवाब देने का सोचा और उनमें से एक ने ये कहा था कि कोहली 'दिखाऊ' बल्लेबाज़ ज़्यादा है और उस बंदे को इंग्लिश और ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज ज्यादा पसंद हैं। कोहली ने जवाब दिया कि मुझे कोई दिक्कत नहीं कि आप मुझे पसंद नहीं करते लेकिन आपको ऐसा करना नहीं चाहिए। आपको अपनी प्राथमिकता निर्धारित करनी चाहिए और 'केवल अपने देश के खिलाड़ियों' का सम्मान करना चाहिए। एक 'चार साल का नौजवान' ऐसी बातें बोलता है और मुझे इनसे ज्यादा तो सरफराज अहमद पसंद है। वह गुस्सा होता है, चिल्लाता है लेकिन प्रेस कॉन्फ्रेंस में एकदम सही और खरी बात बोलता है जबकि उसकी तालीम इनसे ज्यादा नहीं होगी किसी भी फील्ड में। मोदीजी का राज़ है, मैं उनके सारे अच्छे कार्यों का समर्थन करता हूँ लेकिन घर वापसी और देश निकाला जैसी बातें किस स्तर पर लोगों को नुकसान पहुंचा सकती हैं, कोहली उसका सबसे नायाब नमूना हैं। जनाब को खुद दक्षिण अफ्रीकी हर्शेल ग

श्रीनिवास रामानुजन : एक 'ईश्वरपरायण' गणितज्ञ

जैसा कि कुछ दिन पहले मैंने बताया था, मैं अभी स्टीफन हॉकिंग की बेस्टसेलर 'अ ब्रीफ हिस्ट्री ऑफ टाइम' पढ़ रहा हूँ और जैसे ही सर की व्याख्या मैंने ब्लैकहोल्स के बारे में पढ़ी, मुझे श्रीनिवास रामानुजन याद आ गए। कैसे? दरअसल रामानुजन ने एक थ्योरम अपने अंतिम दिनों में ईजाद की थी जिसकी मदद से हम एंट्रोपी की गणना कर सकते हैं। किसी बॉडी की ऊर्जा का वह भाग जिसका उपयोग नहीं किया जा सकता, एंट्रोपी कहलाता है। हाकिंग ने यह खोज की कि ब्लैक होल्स भी ऊर्जा के बहुत बड़े स्रोत हैं जोकि रेडिएशन एमिट करते हैं लेकिन उनके अंदर कितनी ज्यादा ऊर्जा समाहित है, इसकी गणना नहीं की जा सकी है। रामानुजन और हाकिंग यहीं एक साथ होते हैं। रामानुजन की कहानी, मुझे उम्मीद है, आप सबको पता होगी। अगर नहीं है तो ज़रूर पता कर लें। पश्चिमी जगत स्टीफन हॉकिंग, एलन ट्यूरिंग और जॉन नैश के ऊपर गश खाता है लेकिन रामानुजन इन सबमें भी अतिविशिष्ट थे। हिंदुस्तान के पास शायद गणितीय दुनिया का सबसे अनमोल खजाना था जिसे काल ने असमय हमसे छीन लिया लेकिन मात्र 32 वर्ष की आयु में उन्होंने उस दुनिया को जितना दिया, वह आज तक पर्याप्त सिद्ध हो रहा है

आईएनएस अरिहंत: कितना उपयोगी?

कल हिंदू में आईएनएस अरिहंत पर एक लेख आया था। कइयों को उसपर मेरी टिप्पणी निराश करेगी क्योंकि हम सब देशभक्त हैं और किसी भी तथाकथित (या असल) उपलब्धि पर गौरवान्वित महसूस करते हैं। आईएनएस अरिहंत एक ऐसी ही 'तथाकथित' उपलब्धि है। इसकी रेंज 750 किमी है जो पाकिस्तान और हद से हद चीन को टारगेट कर सकती है। पाकिस्तान के पास जो टैक्टिकल न्यूक्लियर वेपन्स हैं, वे एक बैटलफील्ड को नुकसान पहुंचा सकते हैं नाकि एक पूरी सभ्यता को। अतः पाकिस्तान को हम अपनी लैंडबेस्ड न्यूक्लियर आर्सेनल से ही मात दे सकते हैं। चीन पिछले 50 वर्षों से लगातार 'पहले न्यूक्लियर हमला ना करने' के सिद्धांत पर टिका हुआ है। अतः अगर चीन अपनी पालिसी से पलटी खाता भी है तो भी उसको इस बात का अंदाज़ा अच्छी तरह होगा कि उसकी अरबों की जनसंख्या भारत के किसी भी प्रकार की हमलावर रणनीति से कितना नुकसान भुगतेगी। न्यूक्लियर पनडुब्बियां अक्सर अंतिम उपाय का काम करती हैं जब एक देश की लैंड बेस्ड वेपन्स ऑरमरी किसी हमले में पूरी तरह नष्ट हो जाती है और फिर ऐसी पनडुब्बियां सामने वाले के ऊपर चालाकी से हमला करके 'पारस्परिक विनाश' को अंजा

Men's Tennis' New Generation Finally Finding it's Feet in Legends' Backyard

Probably the biggest news from Tennis world this year: Alexander Zverev beat Novak Djokovic to win the most prestigious year-end ATP Tour Final Title in London. Alexander Zverev from Germany and Dominic Thiem from Austria are two of the hottest properties among all the promising newcomers in Tennis and Sascha Zverev proved his credentials by first beating Roger Federer in Semifinal and then Novak in Finals and both those victories came in straight sets. With Federer turning 38 next year, Nadal 33 and Novak 32, it is high time next generation of tennis players step up and prove their mettle. I have been following Thiem's game for last 3 years and only in 2018, he has come into his own and Zverev, a last minute addition to ATP Finals tournament in place of injured Juan Martin Del Potro, stunned two of the most accomplished tennis players in history to lift this title. Federer, Nadal, Murray, and Novak have been the Gold Standards of Tennis for so long and it has been a privilege