सऊदी अरब का शेयर मार्केट रविवार को 7% गिर गया जिसका मतलब यह हुआ कि जितना भी इसने 2018 की शुरुआत में निवेशकों के लिए बनाया था, वह सब रविवार की बाजार में डूब गया। मूल कारण वाशिंगटन पोस्ट के स्तंभकार जमाल खोसागजी की टर्की के सऊदी दूतावास में एक मीटिंग के बाद रहस्यमयी परिस्थितियों में हुई हत्या है जिसका ज़िम्मेदार अमेरिका सऊदी अरब को मान रहा है। टर्की ने भी इस बात को हवा दी है कि हत्या का कारण कहीं ना कहीं सऊदी अरब दूतावास से ही जुड़ा है और वहां के अधिकारियों ने लोकल पुलिस को अभी तक मामले की जांच-पड़ताल की इजाज़त नहीं दी है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने सऊदी अरब को गंभीर परिणाम भुगतने की चेतावनी दी है अगर उसे इस बात के सबूत मिलते हैं कि कमाल की हत्या सऊदी के इशारे पर हुई है। रियाद में एक बहुत बड़ी इन्वेस्टर्स समिट होने वाली थी जिसे कवर करने के लिए CNN, न्यूयॉर्क टाइम्स, द इकोनॉमिस्ट, ब्लूमबर्ग इत्यादि रियाद जाने वाले थे। उबेर, वर्जिन ग्रुप और वायाकॉम जैसी कंपनियों का वहाँ निवेश करने का सुनिश्चित प्लान था जो फिलवक्त खटाई में पड़ गया है। ऊपर से सऊदी प्रिंस सलमान जिनका अपने देश मे सुधारों के लिए 2030 का विज़न था, उनपर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के उल्लंघन, यमन गृहयुद्ध और कतर के साथ व्यापार युद्ध जैसे मुद्दों पर भारी दबाव बन चुका है। ना केवल अमेरिकन कम्पनीज बल्कि यूरोपीय कंपनीज भी सऊदी अरब का बॉयकॉट हर स्तर पर कर रही हैं।
यह एक अभूतपूर्व घटनाक्रम है क्योंकि सऊदी 1970 के दशक से ही अमेरिका और पश्चिमी जगत का एक 'स्वाभाविक' और भरोसेमंद साथी रहा है। अमेरिका की जीडीपी का तकरीबन 18% हिस्सा सऊदी के शेखों के पास ही है और यह मनगढ़ंत डेटा नहीं है। सऊदी की पेट्रो इकॉनमी ने उसके व्यापारियों को इतनी सुविधा दी कि आज अमेरिका की तमाम बड़ी कंपनियों में उनका ज़बरदस्त निवेश है। यह देखना आगामी समय में रूचिपूर्ण होगा कि अमेरिका इस 'अस्वाभाविक' घटनाक्रम से कैसे पार पाता है क्योंकि सऊदी अरब ने अमेरिका को आर्थिक प्रतिबंध जैसे कदम उठाने से पहले ही सचेत कर दिया है....
यह एक अभूतपूर्व घटनाक्रम है क्योंकि सऊदी 1970 के दशक से ही अमेरिका और पश्चिमी जगत का एक 'स्वाभाविक' और भरोसेमंद साथी रहा है। अमेरिका की जीडीपी का तकरीबन 18% हिस्सा सऊदी के शेखों के पास ही है और यह मनगढ़ंत डेटा नहीं है। सऊदी की पेट्रो इकॉनमी ने उसके व्यापारियों को इतनी सुविधा दी कि आज अमेरिका की तमाम बड़ी कंपनियों में उनका ज़बरदस्त निवेश है। यह देखना आगामी समय में रूचिपूर्ण होगा कि अमेरिका इस 'अस्वाभाविक' घटनाक्रम से कैसे पार पाता है क्योंकि सऊदी अरब ने अमेरिका को आर्थिक प्रतिबंध जैसे कदम उठाने से पहले ही सचेत कर दिया है....
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