बेलफ़ास्ट नक्शे में खोजना जरा। डबलिन भी खोज लेना। फिर बताना कि दोनों में अन्तर क्या है? चलो, अन्तर मैं बता देता हूँ क्योंकि प्रसंग ऐतिहासिक है।
आयरलैंड एक नहीं दो हैं। एक आयरलैंड, दूसरा उत्तरी आयरलैंड। उत्तरी आयरलैंड क्रिकेट खेलता है, दूसरा नहीं। उत्तरी आयरलैंड में ही बेलफ़ास्ट है, उसकी राजधानी। यह वही जगह है जहाँ टाइटैनिक बना था। अपनी आज़ादी से पहले दोनों एक ही थे, बाद में टूटे और उसके पीछे कुछ बाध्यताएं थीं। मैंने पिछले पोस्ट में बताया था कि स्कॉटलैंड और आयरलैंड का औपनिवेशिक इतिहास बहुत ही दुःखद है। आज स्कॉटलैंड और नॉर्थर्न आयरलैंड, दोनों ग्रेट ब्रिटेन के हिस्से हैं। कारण आर्थिक और राजनीतिक हैं। दोनों अभी भी अंग्रेजों से घृणा करते हैं लेकिन यूरोपियन यूनियन जैसे मजबूत संघ की सदस्यता और इंग्लैंड जैसे मजबूत राष्ट्र की सरपरस्ती उन्हें अपने कल्याण के लिए नागवार नहीं गुज़री। आज इन दोनों देशों के खिलाड़ी इंग्लैंड के विभिन्न क्लब्स और कॉउंटी के लिए खेलते हैं। मैनचेस्टर यूनाइटेड के प्रशंसक रयान गिग्ग्स को नहीं भूल सकते और वह उत्तरी आयरलैंड के ही रहने वाले हैं।
आयरलैंड की जो टीम अभी मालाहाईड में 5 दिन पहले टेस्ट मैच में खेलने उतरी थी, उसके भी लगभग सारे खिलाड़ी कॉउंटी प्रोफेशनल हैं। एड जॉयस तो 20,000 से भी ज्यादे रन बना चुके हैं। गैरी विल्सन भी पुराने प्रोफेशनल हैं और उम्दा क्रिकेटर। जॉयस और रैनकिन ने तो इंग्लैंड के भी प्रतिनिधित्व भी किया है वनडे और टेस्ट क्रिकेट में। उत्तरी आयरलैंड में क्रिकेट को खत्म करने की तमाम कोशिशें की गईं। आयरिश राष्ट्रीयता, क्रिकेट प्रशासकों की नाकाबिलियत और गैलिक एथलेटिक एसोसिएशन की कारगुजारियों ने आयरिश क्रिकेट को बहुत पीड़ित किया लेकिन जिसे क्रिकेट के कीड़े ने काट लिया, वो कहाँ क्रिकेट छोड़ेगा। आज आयरिश क्रिकेट एक पारिवारिक उपक्रम बन गया है। जो खिलाड़ी अभी टीम में हैं, उनके पिताजी या दादाजी, उनकी बहन या भाईयों ने किसी ना किसी स्तर पर आयरलैंड का क्रिकेट में प्रतिनिधित्व किया है। सब एक दूसरे को जानते हैं। अभी भी आयरलैंड में क्रिकेट बहुत पॉपुलर नहीं है। रग्बी और एसोसिएशन फुटबॉल अभी भी नंबर 1 और 2 खेल हैं वहाँ लेकिन 5 दिन बाद हालात बदल चुके हैं।
जब टेस्ट मैच शुरू हुआ था तो कई अखबारों ने इस ऐतिहासिक घटनाक्रम के बारे में प्रमुखता से नहीं लिखा। जब केविन ओ ब्रायन ने चौथे दिन शतक ठोका, तब उन्हें अखबार के स्पोर्ट्स पेज पर जगह मिल गयी। इतिहास बन गया। केविन गुयाना में थे जब आयरलैंड पाकिस्तान को हरा रहा था। केविन बंगलोर में थे जब आयरलैंड ने इंग्लैंड की लुटिया डुबोई थी। केविन मालाहाईड में थे जब आयरलैंड पाकिस्तान को कड़ी टक्कर दे रहा था। केविन आयरलैंड क्रिकेट और दृढ़ता के प्रतीक हैं और ताउम्र रहेंगे। केविन ने अपनी पीठ पर आयरिश क्रिकेट को ढोया है और आज उनके कारण आयरिश क्रिकेट विश्व क्रिकेट के नक्शे पर मौजूद है।
मैं पाकिस्तान के बारे में भी लिखना चाहूँगा। पाकिस्तान जैसी अलहदा टीम दुनिया मे कोई नहीं। रिस्क लेना सीखना है तो उनसे सीखो। आप अपने विरोधी को नहीं जानते, तब भी उनके घर जाके क्रिकेट जैसा जटिल खेल खेलना, आपके हिम्मत की दाद है। अभी वहाँ तापमान 5 डिग्री सेल्सियस है। इतने में क्रिकेट खेलना तो दूर, मैदान में खड़ा होना ही चुनौती है लेकिन पाकिस्तान ने सब स्वीकारा और अंत में विजयी भी हुए। आज जब ऑस्ट्रेलिया, बांग्लादेश से खेलने में डर रही है तो मैं पाकिस्तान क्रिकेट को सलाम ठोकूँगा कि उन्होंने इतनी हिम्मत दिखाई। कल जिसने मैच देखा होगा, उसे पता चल गया होगा कि पाकिस्तान कितने बड़े खतरे में था। एक बात औऱ, पाकिस्तान के गेंदबाज कल भी अच्छे थे, आज भी सबसे अच्छे हैं और आगे भी रहेंगे।
रही बात इतिहास की तो बेलफ़ास्ट वाली ट्रेन्स कभी मालाहाईड नहीं रुका करतीं। कुछ लोग कहते हैं कि 10 साल हो गए, कुछ 20 बताते हैं। इन पाँच दिनों में ट्रेन रुकना शुरू हो गयी है।
क्रिकेट-शक्ति को सलाम!!!
आयरलैंड एक नहीं दो हैं। एक आयरलैंड, दूसरा उत्तरी आयरलैंड। उत्तरी आयरलैंड क्रिकेट खेलता है, दूसरा नहीं। उत्तरी आयरलैंड में ही बेलफ़ास्ट है, उसकी राजधानी। यह वही जगह है जहाँ टाइटैनिक बना था। अपनी आज़ादी से पहले दोनों एक ही थे, बाद में टूटे और उसके पीछे कुछ बाध्यताएं थीं। मैंने पिछले पोस्ट में बताया था कि स्कॉटलैंड और आयरलैंड का औपनिवेशिक इतिहास बहुत ही दुःखद है। आज स्कॉटलैंड और नॉर्थर्न आयरलैंड, दोनों ग्रेट ब्रिटेन के हिस्से हैं। कारण आर्थिक और राजनीतिक हैं। दोनों अभी भी अंग्रेजों से घृणा करते हैं लेकिन यूरोपियन यूनियन जैसे मजबूत संघ की सदस्यता और इंग्लैंड जैसे मजबूत राष्ट्र की सरपरस्ती उन्हें अपने कल्याण के लिए नागवार नहीं गुज़री। आज इन दोनों देशों के खिलाड़ी इंग्लैंड के विभिन्न क्लब्स और कॉउंटी के लिए खेलते हैं। मैनचेस्टर यूनाइटेड के प्रशंसक रयान गिग्ग्स को नहीं भूल सकते और वह उत्तरी आयरलैंड के ही रहने वाले हैं।
आयरलैंड की जो टीम अभी मालाहाईड में 5 दिन पहले टेस्ट मैच में खेलने उतरी थी, उसके भी लगभग सारे खिलाड़ी कॉउंटी प्रोफेशनल हैं। एड जॉयस तो 20,000 से भी ज्यादे रन बना चुके हैं। गैरी विल्सन भी पुराने प्रोफेशनल हैं और उम्दा क्रिकेटर। जॉयस और रैनकिन ने तो इंग्लैंड के भी प्रतिनिधित्व भी किया है वनडे और टेस्ट क्रिकेट में। उत्तरी आयरलैंड में क्रिकेट को खत्म करने की तमाम कोशिशें की गईं। आयरिश राष्ट्रीयता, क्रिकेट प्रशासकों की नाकाबिलियत और गैलिक एथलेटिक एसोसिएशन की कारगुजारियों ने आयरिश क्रिकेट को बहुत पीड़ित किया लेकिन जिसे क्रिकेट के कीड़े ने काट लिया, वो कहाँ क्रिकेट छोड़ेगा। आज आयरिश क्रिकेट एक पारिवारिक उपक्रम बन गया है। जो खिलाड़ी अभी टीम में हैं, उनके पिताजी या दादाजी, उनकी बहन या भाईयों ने किसी ना किसी स्तर पर आयरलैंड का क्रिकेट में प्रतिनिधित्व किया है। सब एक दूसरे को जानते हैं। अभी भी आयरलैंड में क्रिकेट बहुत पॉपुलर नहीं है। रग्बी और एसोसिएशन फुटबॉल अभी भी नंबर 1 और 2 खेल हैं वहाँ लेकिन 5 दिन बाद हालात बदल चुके हैं।
जब टेस्ट मैच शुरू हुआ था तो कई अखबारों ने इस ऐतिहासिक घटनाक्रम के बारे में प्रमुखता से नहीं लिखा। जब केविन ओ ब्रायन ने चौथे दिन शतक ठोका, तब उन्हें अखबार के स्पोर्ट्स पेज पर जगह मिल गयी। इतिहास बन गया। केविन गुयाना में थे जब आयरलैंड पाकिस्तान को हरा रहा था। केविन बंगलोर में थे जब आयरलैंड ने इंग्लैंड की लुटिया डुबोई थी। केविन मालाहाईड में थे जब आयरलैंड पाकिस्तान को कड़ी टक्कर दे रहा था। केविन आयरलैंड क्रिकेट और दृढ़ता के प्रतीक हैं और ताउम्र रहेंगे। केविन ने अपनी पीठ पर आयरिश क्रिकेट को ढोया है और आज उनके कारण आयरिश क्रिकेट विश्व क्रिकेट के नक्शे पर मौजूद है।
मैं पाकिस्तान के बारे में भी लिखना चाहूँगा। पाकिस्तान जैसी अलहदा टीम दुनिया मे कोई नहीं। रिस्क लेना सीखना है तो उनसे सीखो। आप अपने विरोधी को नहीं जानते, तब भी उनके घर जाके क्रिकेट जैसा जटिल खेल खेलना, आपके हिम्मत की दाद है। अभी वहाँ तापमान 5 डिग्री सेल्सियस है। इतने में क्रिकेट खेलना तो दूर, मैदान में खड़ा होना ही चुनौती है लेकिन पाकिस्तान ने सब स्वीकारा और अंत में विजयी भी हुए। आज जब ऑस्ट्रेलिया, बांग्लादेश से खेलने में डर रही है तो मैं पाकिस्तान क्रिकेट को सलाम ठोकूँगा कि उन्होंने इतनी हिम्मत दिखाई। कल जिसने मैच देखा होगा, उसे पता चल गया होगा कि पाकिस्तान कितने बड़े खतरे में था। एक बात औऱ, पाकिस्तान के गेंदबाज कल भी अच्छे थे, आज भी सबसे अच्छे हैं और आगे भी रहेंगे।
रही बात इतिहास की तो बेलफ़ास्ट वाली ट्रेन्स कभी मालाहाईड नहीं रुका करतीं। कुछ लोग कहते हैं कि 10 साल हो गए, कुछ 20 बताते हैं। इन पाँच दिनों में ट्रेन रुकना शुरू हो गयी है।
क्रिकेट-शक्ति को सलाम!!!
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