आज फुटबॉल के बारे में.....
जीवन में विकल्पहीनता की स्थिति भरसक नहीं आनी चाहिए। क्रिकेट मेरी पहली पसंद है लेकिन अगर क्रिकेट नहीं तो फिर क्या? ऐसी स्थिति आप सबके समक्ष भी आती होगी। मेरे विकल्प टेनिस, फुटबॉल, बैडमिंटन, मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स इत्यादि हैं। टेनिस मैं इसलिए देखता हूँ क्योंकि एक खिलाड़ी अकेले दम पर क्या हासिल कर सकता है, आप टेनिस से सीख सकते हैं। बैडमिंटन जरा लो प्रोफाइल गेम है लेकिन टेम्परामेंट की परीक्षा टेनिस इतनी ही लेता है। फील्ड हॉकी और फुटबॉल क्रिकेट के समकक्ष हैं क्योंकि दोनों में 11 खिलाड़ी होते हैं और दोनों आउटडोर स्पोर्ट्स हैं जिन्हें जनता का भरपूर प्यार और समर्थन मिलता है। हॉकी भारतीयों में जितना देशप्रेम का संचार करती है, मेरे ख्याल से क्रिकेट उसके आसपास भी नहीं फटकता और फुटबॉल, इसके कहने ही क्या?
दुनिया में खेलों के पीछे जितने फसाद हुए हैं, उसमें फुटबॉल नंबर 1 है। और देशों की बात छोड़ दें, यहाँ परिदृश्य अब क्लब्स का है। क्लब फुटबॉल राष्ट्रीय फुटबॉल से ज्यादा आकर्षक, प्रतिस्पर्धी और कमाऊ है। लियोनेल मेसी, नेमार, रोनाल्डो, ग्रीज़मान, बेल और मोहम्मद सालाह जैसे खिलाड़ियों पर सैकड़ों करोडों रुपये के दाँव हर साल लगते हैं। इंग्लिश प्रीमियर लीग, स्पेनिश ला लीगा, इटालियन फुटबॉल लीग इत्यादि दुनिया मे सबसे ज्यादा देखे जाने वाली और प्रतिस्पर्धी प्रतियोगिताएं हैं। भारत में खुद अब आईपीएल आने के बावजूद भी सबसे ज्यादा ईपीएल देखा जाता है। आर्सेनल, मैनचेस्टर यूनाइटेड, लिवरपूल, चेलसी, बार्सिलोना, रियल मेड्रिड, जुवेंटस, एसी मिलान जैसे क्लब्स भारत में बेहद प्रशंसित हैं।
2002 में पहली बार मेरे होश में केबल लगा था घर में। ईपीएल का खूब प्रचार आता था स्टार स्पोर्ट्स और espn पर। एक दो दिन में ही शनिवार के दिन शाम 5 बजे लिवरपूल और everton का मैच espn पर आया। आप कई मौकों पर अपनी साइड तुरंत चुन लेते हो। मेरे साथ वही हुआ। लिवरपूल उस दिन जो फेवरेट टीम बनी, आजतक साथ कायम है। रूनी अभी 18 साल के लड़के थे जो everton से डेब्यू कर रहे थे। उस सीजन के खत्म होते ही वह युवा सनसनी बन चुके थे और फिर ताउम्र मेनचेस्टर यूनाइटेड के लिए खेलते दिखे। इंग्लैंड के कप्तान भी बनें। यह याद नहीं भूलेगी।
आज लिवरपूल के लिए खास दिन है। यूएफा चैंपियंस लीग जोकि क्लब फुटबॉल के इतिहास की सबसे प्रतिस्पर्धी और सम्मानित लीग है (क्लब फुटबॉल का वर्ल्ड कप भी कह सकते हैं), के फाइनल में आज लिवरपूल का मुकाबला रियल मेड्रिड से होगा। रियल के बारे में आप सबको बहुत पता होगा, कुछ नहीं तो क्रिस्टियानो रोनाल्डो को तो जानते ही होंगे लेकिन ये भी जान लें कि लिवरपूल रियल के बाद इस चैंपियनशिप को सबसे ज्यादे बार जीतने वाली टीम है। लिवरपूल की सबसे बड़ी खासियत अपनी अकादमी के लड़कों को तैयार करना और फिर उन्हें स्थापित और बड़ा खिलाड़ी बनाना रहा है। वे निर्यातित स्टार पावर के ऊपर कम भरोसा करते हैं। तब भी लिवरपूल से खेले विदेशी खिलाड़ी जैसे सुआरेज़, फर्नांडो टोरेस और फिलिप कूटिनहो आज स्पेनिश लीग की शान हैं। इस साल मिस्र के मोहम्मद सालाह, सेनेगल के सादिओ माने और रोबर्ट फर्मिनो उनके हीरो रहे हैं और उनकी अग्रिम पंक्ति बड़ी स्वछंदता से गोल किए जा रही है।
आज लिवरपूल एक अंडरडॉग के हैसियत से यूक्रेन के कीव में रियल के खिलाफ उतरेगी। उसके समर्थक वहाँ रियल के मुकाबले कम होंगे लेकिन अपने भारतीय समर्थकों के समर्थन के प्रति वे आश्वस्त रह सकते हैं। आज अगर लिवरपूल जीती तो मैं उतना ही खुश होऊँगा जितना कि मुझे आप अपनी क्रिकेट टीम के लिए पाते हैं।
लिवरपूल को हार्दिक शुभकामनाएं!!!
जीवन में विकल्पहीनता की स्थिति भरसक नहीं आनी चाहिए। क्रिकेट मेरी पहली पसंद है लेकिन अगर क्रिकेट नहीं तो फिर क्या? ऐसी स्थिति आप सबके समक्ष भी आती होगी। मेरे विकल्प टेनिस, फुटबॉल, बैडमिंटन, मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स इत्यादि हैं। टेनिस मैं इसलिए देखता हूँ क्योंकि एक खिलाड़ी अकेले दम पर क्या हासिल कर सकता है, आप टेनिस से सीख सकते हैं। बैडमिंटन जरा लो प्रोफाइल गेम है लेकिन टेम्परामेंट की परीक्षा टेनिस इतनी ही लेता है। फील्ड हॉकी और फुटबॉल क्रिकेट के समकक्ष हैं क्योंकि दोनों में 11 खिलाड़ी होते हैं और दोनों आउटडोर स्पोर्ट्स हैं जिन्हें जनता का भरपूर प्यार और समर्थन मिलता है। हॉकी भारतीयों में जितना देशप्रेम का संचार करती है, मेरे ख्याल से क्रिकेट उसके आसपास भी नहीं फटकता और फुटबॉल, इसके कहने ही क्या?
दुनिया में खेलों के पीछे जितने फसाद हुए हैं, उसमें फुटबॉल नंबर 1 है। और देशों की बात छोड़ दें, यहाँ परिदृश्य अब क्लब्स का है। क्लब फुटबॉल राष्ट्रीय फुटबॉल से ज्यादा आकर्षक, प्रतिस्पर्धी और कमाऊ है। लियोनेल मेसी, नेमार, रोनाल्डो, ग्रीज़मान, बेल और मोहम्मद सालाह जैसे खिलाड़ियों पर सैकड़ों करोडों रुपये के दाँव हर साल लगते हैं। इंग्लिश प्रीमियर लीग, स्पेनिश ला लीगा, इटालियन फुटबॉल लीग इत्यादि दुनिया मे सबसे ज्यादा देखे जाने वाली और प्रतिस्पर्धी प्रतियोगिताएं हैं। भारत में खुद अब आईपीएल आने के बावजूद भी सबसे ज्यादा ईपीएल देखा जाता है। आर्सेनल, मैनचेस्टर यूनाइटेड, लिवरपूल, चेलसी, बार्सिलोना, रियल मेड्रिड, जुवेंटस, एसी मिलान जैसे क्लब्स भारत में बेहद प्रशंसित हैं।
2002 में पहली बार मेरे होश में केबल लगा था घर में। ईपीएल का खूब प्रचार आता था स्टार स्पोर्ट्स और espn पर। एक दो दिन में ही शनिवार के दिन शाम 5 बजे लिवरपूल और everton का मैच espn पर आया। आप कई मौकों पर अपनी साइड तुरंत चुन लेते हो। मेरे साथ वही हुआ। लिवरपूल उस दिन जो फेवरेट टीम बनी, आजतक साथ कायम है। रूनी अभी 18 साल के लड़के थे जो everton से डेब्यू कर रहे थे। उस सीजन के खत्म होते ही वह युवा सनसनी बन चुके थे और फिर ताउम्र मेनचेस्टर यूनाइटेड के लिए खेलते दिखे। इंग्लैंड के कप्तान भी बनें। यह याद नहीं भूलेगी।
आज लिवरपूल के लिए खास दिन है। यूएफा चैंपियंस लीग जोकि क्लब फुटबॉल के इतिहास की सबसे प्रतिस्पर्धी और सम्मानित लीग है (क्लब फुटबॉल का वर्ल्ड कप भी कह सकते हैं), के फाइनल में आज लिवरपूल का मुकाबला रियल मेड्रिड से होगा। रियल के बारे में आप सबको बहुत पता होगा, कुछ नहीं तो क्रिस्टियानो रोनाल्डो को तो जानते ही होंगे लेकिन ये भी जान लें कि लिवरपूल रियल के बाद इस चैंपियनशिप को सबसे ज्यादे बार जीतने वाली टीम है। लिवरपूल की सबसे बड़ी खासियत अपनी अकादमी के लड़कों को तैयार करना और फिर उन्हें स्थापित और बड़ा खिलाड़ी बनाना रहा है। वे निर्यातित स्टार पावर के ऊपर कम भरोसा करते हैं। तब भी लिवरपूल से खेले विदेशी खिलाड़ी जैसे सुआरेज़, फर्नांडो टोरेस और फिलिप कूटिनहो आज स्पेनिश लीग की शान हैं। इस साल मिस्र के मोहम्मद सालाह, सेनेगल के सादिओ माने और रोबर्ट फर्मिनो उनके हीरो रहे हैं और उनकी अग्रिम पंक्ति बड़ी स्वछंदता से गोल किए जा रही है।
आज लिवरपूल एक अंडरडॉग के हैसियत से यूक्रेन के कीव में रियल के खिलाफ उतरेगी। उसके समर्थक वहाँ रियल के मुकाबले कम होंगे लेकिन अपने भारतीय समर्थकों के समर्थन के प्रति वे आश्वस्त रह सकते हैं। आज अगर लिवरपूल जीती तो मैं उतना ही खुश होऊँगा जितना कि मुझे आप अपनी क्रिकेट टीम के लिए पाते हैं।
लिवरपूल को हार्दिक शुभकामनाएं!!!
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