1. मोदी की कैंपेनिंग 'चकाचौंध और झूठ-पर-झूठ' पर टिकी हुई है।
सच्चाई: अटल बिहारी वाजपेयी का इंडिया शाइनिंग कैंपेन 2004 में कैसा ध्वस्त हुआ था, भाजपा भूली नहीं है।
2. पढ़े-लिखे लोग भी मोदी के झूठ से प्रभावित होकर उन्हें वोट देते हैं।
सच्चाई: हिंदुस्तान में पढ़े-लिखे लोग वोट देते ही नहीं।
3. राहुल गाँधी चुनावों में बहुत मेहनत कर रहे हैं।
सच्चाई: मोदी उससे भी ज्यादे कर रहे हैं।
4. मोदी नफरत का माहौल बना रहे हैं।
सच्चाई: फिर आप प्रेम का संदेश क्यों नहीं बाँट रहे? ममता बनर्जी जिस परिपाटी पर फिलहाल चल रही हैं, उस हिसाब से तो मार्क्सवाद भी रामराज जैसा अब प्रतीत हो रहा है।
5. मोदी विकास नहीं कर रहे और केवल उद्योगपतियों को फायदा पहुंचा रहे हैं।
सच्चाई: यह सच है कि हिंदुस्तान की जनता विकास के नाम पर वोट नहीं देती लेकिन 'विकास' हुआ है। यह आप हम नहीं कह रहे जबकि विदेशी थिंकटैंक कह रहे हैं और जहाँ तक उद्योगपतियों की बात है तो बुरा माने या भला लेकिन विकास के इंजन हमेशा वही होते हैं।
और फिर रवीश के शब्दों में जिन्हें लोग भाजपा विरोधी मानते हैं: 'जिस हिसाब से काँग्रेस आगे बढ़ रही है या बढ़ने का सोच रही है, उस हिसाब से उसका कोई भविष्य नहीं है।' पढ़े-लिखे दोस्तों, किसी के प्रति कुछ कहने सुनने से पहले उसे अच्छे तरह से जान लेना चाहिए। यही युक्ति आपके ज्ञान का प्रतीक होगी।
सच्चाई: अटल बिहारी वाजपेयी का इंडिया शाइनिंग कैंपेन 2004 में कैसा ध्वस्त हुआ था, भाजपा भूली नहीं है।
2. पढ़े-लिखे लोग भी मोदी के झूठ से प्रभावित होकर उन्हें वोट देते हैं।
सच्चाई: हिंदुस्तान में पढ़े-लिखे लोग वोट देते ही नहीं।
3. राहुल गाँधी चुनावों में बहुत मेहनत कर रहे हैं।
सच्चाई: मोदी उससे भी ज्यादे कर रहे हैं।
4. मोदी नफरत का माहौल बना रहे हैं।
सच्चाई: फिर आप प्रेम का संदेश क्यों नहीं बाँट रहे? ममता बनर्जी जिस परिपाटी पर फिलहाल चल रही हैं, उस हिसाब से तो मार्क्सवाद भी रामराज जैसा अब प्रतीत हो रहा है।
5. मोदी विकास नहीं कर रहे और केवल उद्योगपतियों को फायदा पहुंचा रहे हैं।
सच्चाई: यह सच है कि हिंदुस्तान की जनता विकास के नाम पर वोट नहीं देती लेकिन 'विकास' हुआ है। यह आप हम नहीं कह रहे जबकि विदेशी थिंकटैंक कह रहे हैं और जहाँ तक उद्योगपतियों की बात है तो बुरा माने या भला लेकिन विकास के इंजन हमेशा वही होते हैं।
और फिर रवीश के शब्दों में जिन्हें लोग भाजपा विरोधी मानते हैं: 'जिस हिसाब से काँग्रेस आगे बढ़ रही है या बढ़ने का सोच रही है, उस हिसाब से उसका कोई भविष्य नहीं है।' पढ़े-लिखे दोस्तों, किसी के प्रति कुछ कहने सुनने से पहले उसे अच्छे तरह से जान लेना चाहिए। यही युक्ति आपके ज्ञान का प्रतीक होगी।
Comments
Post a Comment