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लविंग विंसेंट (वैन गॉफ)......

एनिमेटेड फिल्म्स बहुत देखी होंगी आपने। इनका खुद का अपना परिपक्व संसार है और जापानियों ने तो इतनी संवेदनाएं जोड़ दी हैं इस विधा में कि आजकल बड़े-बड़े सुपरस्टार्स इन एनिमेटेड किरदारों के सामने नहीं टिकते। लेकिन हॉलीवुड भी कम बहादुर नहीं है। जो हैडिंग ऊपर डाली है, उसका ब्रैकेट वाला पोर्शन हटा दें तो वही अपनी फिल्म का नाम है। विंसेंट कौन? विंसेंट वैन गॉफ।

शायद यह दुनिया के इकलौते ऐसे कलाकार रहे हैं जिन्हें इनके सरनेम से ज्यादा जाना जाता है। बात यह भी सही है कि दुनिया ने इन्हें इनकी मौत के बाद ही सारी इज़्ज़त बख्शी। एक कलाकार सनकी होता है, उसे अकेलापन पसंद होता है क्योंकि वह भीड़भाड़ में काम नहीं कर सकता। उसकी सीमाएं होती हैं और आपको वह उसमे प्रवेश नहीं करने देना चाहेगा। आप उसे बिल्कुल गलत समझ सकते हैं लेकिन गलत आप हैं, वह नहीं। नज़रिया आपका गलत है क्योंकि वही सनक उसकी ज़िन्दगी है।

विंसेंट वैन गॉफ ताउम्र संघर्ष करते रहे। एक अच्छे डच परिवार में पैदाइश, देखभाल करने वाले अभिभावक और जान न्यौछावर करने वाला छोटा भाई, थियो वैन गॉफ। पढ़ाई में मन नहीं लगा तो आर्ट डीलर बने। वहाँ असफलता मिली तो चर्च में मिशनरी लेकिन आगे की परीक्षा पास ना कर पाने की वजह से चर्च से भी बाहर। इसी परिस्थिति में मनोरोगी बन गए। पैसा पहला कारण, अपने अंदर की बेचैनी को प्रकट ना कर पाना दूसरा। शायद उन्हें पता ही नहीं था कि वह करना क्या चाहते थे। फ्रांस उनका ठिकाना बना जोकि 20वी सदी में कलाकारों का पनाहगाह था। सारे महान कलाकार पूरे विश्व से वहीं जुटते थे। वहाँ विंसेंट की मुलाकात 'पॉल गौगिन और मोने' से होती है जोकि सुप्रसिद्ध पेंटर्स थे। शायद उनकी प्रेरणा से ही विंसेंट ने कैनवास और कलर पेंट्स उठाये।

अगले 8 सालों में 800 से ज्यादा ऑयल पेंटिंग्स। यह शायद एक विश्व रिकॉर्ड है। इतनी ज्यादा रचनात्मकता तो किसी ने देखी ही नहीं थी। धीरे-धीरे उनके सितारे बुलंद हो रहे थे। पेंटिंग्स अभी भी कौड़ियों के दाम ही बिक रहीं थी लेकिन लोग पहचान रहे थे। महान कलाकारों की जमात में अब उनकी बैठकी होती थी। चटक रंग और प्रकृति के प्रति लगाव ही उनकी पेंटिग्स की पहचान थीं।

फिर फ़िज़ा बदली। एक कलाकार का हृदय सुकोमल, सुकुमार होता है और विंसेंट बहुत ही विनम्र और संकोची भी थे। इसी कारण से लोग उन्हें कमज़ोर समझते थे। उनके होम्योपैथिक डॉक्टर गेशे, जोकि खुद एक पेंटर बनना चाहते थे, ने उनके इलाज के बहाने उनसे पेंटिंग्स करवाई और फिर दिन-दिन भर बैठकर उनकी कॉपीज बनायीं। यह बात विंसेंट को डॉक्टर गेशे की बेटी ने बता दी और विंसेंट का मानवता के ऊपर से भरोसा उठ गया। डॉक्टर गेशे ने उन्हें बहलाने-फुसलाने की बहुत कोशिश की लेकिन विंसेंट का मन टूट चुका था। गेशे ने आखिरी दांव खेलते हुए विंसेंट को बता दिया कि उनका भाई थियो, उन्हें आर्थिक रूप से संभालने के पीछे खुद बर्बाद हो रहा है और एक गंभीर बीमारी से जूझ रहा है। यही विंसेंट के ताबूत की आखिरी कील बन गया। विंसेंट ने खुद को गोली मार ली और दो दिनों बाद उनकी मौत हो गयी। मात्र 37 साल की उम्र में एक महान कलाकार ने इस दुनिया से रुखसती कर ली।

थियो और विंसेंट दो जिस्म, एक जान थे। विंसेंट उन्हें खूब लंबे पत्र लिखा करते थे जिसे थियो संभाल कर रखते थे। प्रत्युत्तर वाले पत्र लेकिन विंसेंट खुद नहीं संभाल पाते थे। एक दूसरे के प्रति अगाध प्रेम था। विंसेंट की मौत की खबर ने थियो को इतना दुखी किया कि मात्र 2 महीने बाद वह खुद चल बसे। उनकी विधवा जोहाना ने इन पत्रों को संभाल कर रखा और आज वे कई म्यूजियम की शान हैं।

विंसेंट को आज 'आधुनिक पेंटिंग का पिता' कहा जाता है। 1992 में उनकी एक पेंटिंग जिसमे उन्होंने अपने प्रिय डॉक्टर गेशे का आयल पोर्ट्रेट बनाया था, 400 करोड़ रुपये में बिकी। आज पूरी दुनिया उनका यशोगान करती है लेकिन उनके खुद के समय मे मुठ्ठी भर लोग ही उनको समझ पाए और आदर दिए।

फ़िल्म क्यों विशेष है क्योंकि 2500 पेंटर्स, जोकि वैन गॉफ स्कूल ऑफ आर्ट्स के ही शिष्य हैं, ने अपने गुरु के जीवन से सम्बंधित 8000 ऑयल पेंटिंग्स बनाई और एक बहादुर निर्देशक ने उनमें से 1200 पेंटिंग्स का चुनाव करके, फ्रेम दर फ्रेम उन्हें सजाकर फ़िल्म का रूप दे दिया। यह दुनिया की पहली हैंडमेड पेंटेड फ़िल्म है जिसमें हर एक फ्रेम को पेंट किया गया है नाकि फिल्माया गया है। इसे देखना अपने आप मे एक शानदार अनुभव है लेकिन उससे ज्यादा महसूस करने वाली बात वैन गॉफ के ऊपर फिल्माये/बनाये गए दृश्य हैं जोकि हमें एक कलाकार के अंदरूनी जीवन के बारे में, उसके संघर्ष के बारे में बताते हैं। विंसेंट आज एक आजमाए गए और प्रसिद्ध उदाहरण हैं उस एक ऐसे जीनियस आर्टिस्ट का जिसे उनके जीवनकाल में कोई बिल्कुल भी नहीं समझ पाया या समझा भी तो एक मनोरोगी, कमज़ोर और सनकी कलाकार के रूप में।

विंसेंट वैन गॉफ और उनके ऊपर फिल्माई गयी इस फ़िल्म को, उन 1200 वैन गॉफ की शिष्यों को और उन 8000 नायाब पेंटिंग्स को इस पोस्ट की ओर से एक रॉयल सैल्युट!!!

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