14 मार्च, 2007
क्रिकेट इतिहास में यह तारीख बेहद खास है। इस दिन वर्ल्ड कप इतिहास के दो सबसे बड़े उलटफेर हुए। बांग्लादेश, भारत को गुयाना में हरा रहा था और आयरलैंड, पाकिस्तान को जमैका में। वर्ल्ड कप के जो संयोजक थे, उनके हाथ-पाँव फूल रहे थे क्योंकि पाकिस्तान और भारत विश्व क्रिकेट की दो सबसे लोकप्रिय टीम्स थीं और एक ही शाम में दो बड़ी टीम्स का वर्ल्ड कप से बाहर हो जाना, तीसरे हार्ट अटैक का आना था। यह कहने की जरूरत नहीं कि आगे का वर्ल्ड कप कैसे बीता। वर्ल्ड कप इतिहास का सबसे बोरिंग और अलोकप्रिय संस्करण। रही-सही कसर अगले दिन 8 तारीख को पूरी हो गयी जब बॉब वूल्मर का शव उनके होटल कमरे से संदेहास्पद परिस्थितियों में मिला। पाकिस्तानी दोस्त तो बुरी तरह टूट गए थे, हमारा रहा-सहा हिसाब किताब 3 दिनों बाद श्रीलंका ने पूरा कर दिया।
लेकिन उस विश्व कप में कुछ नई बातें तो हुई ही जिसने विश्व क्रिकेट का इतिहास और नक्शा ही बदल दिया। बांग्लादेश ने ना केवल भारत को हराया बल्कि सुपर 8 में साउथ अफ्रीका को भी पीटा। आयरलैंड ने अपने राष्ट्रीय त्यौहार, सेंट पैट्रिक डे पर पाकिस्तान को हराया था। यह तारीख आयरिश कैलेंडर की सबसे महत्वपूर्ण तारिख होती है और उस दिन 2007 को आयरलैंड ने उसे और भी विशेष बना दिया। क्रिकेट दुनिया मे दो नए और प्रभावशाली देशों का अभ्युदय हो चुका था।
बात आज आयरलैंड की ही होगी।
अगर अगले कुछ घंटों में मौसम साफ हो गया तो मालाहाईड में आप आयरलैंड को अपना पहला टेस्ट मैच खेलते देखेंगे। 11 लोग अपनी कैप पहनेंगे और सैकड़ों की तादाद में पूर्व खिलाड़ी अपने आंखों में आंसू लिए उनके लिए ताली बजा रहे होंगे। आयरलैंड मात्र 11वां क्रिकेट राष्ट्र बन जायेगा आज। मात्र 11वाँ। क्रिकेट एक अतिविशिष्ट खेल है और केवल इसलिए नहीं कि इसको खेलने के लिए आपको अद्भुत प्रतिभा चाहिए होती है, नहीं। यह ऐसा इसलिए है क्योंकि क्रिकेट अभी भी औपनिवेशिक मानसिकता के साथ खेला जाता है और अब वह औपनिवेशिकता, अर्थ से जुड़ गई है। इसलिए भारत जैसा पूर्व गुलाम देश आज इसका सबसे बड़ा ठेकेदार बनकर बैठा हुआ है। भारत सर्वश्रेष्ठ क्रिकेट खेलने वाला देश नहीं है लेकिन उसके साथ सभी खेलना चाहते हैं। वे जीतें या भारत हारे, उन्हें फ़र्क़ नहीं पड़ता। बस पैसे आने चाहिए।
आयरलैंड, स्कॉटलैंड अभी तक टेस्ट क्रिकेट खेलने वाले देश नहीं बने क्योंकि अंग्रेजों ने उन्हें प्रताड़ित किया। जितना अंग्रेजों ने उन्हें प्रताड़ित किया है, शायद अपने किसी दूसरे उपनिवेश को नहीं किया। आज भारत और ऑस्ट्रेलिया जैसे पूर्व गुलाम देश भी अर्थ के आगे इन सब देशों के हित के लिए सामने नहीं आ रहे। नुकसान उन खिलाड़ियों का हो रहा है जिन्होंने अपने 15-20 साल इस खेल को दे दिये लेकिन एक अदद 'टेस्ट मैच' नहीं खेल पाए। ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड को छोड़कर जितने भी क्रिकेट खेलने वाले देश हैं, उन्हें अपना पहला टेस्ट मैच जीतने में दशकों लग गए। फिर आप कैसे इन देशों से उम्मीद कर सकते हैं कि यह अपने पहले कुछ मैचों में ही कुछ बेहद स्थापित देशों को हरा दें? अभी ऑस्ट्रेलिया ने बांग्लादेश को अपने यहाँ बुलाने से मना कर दिया क्योंकि उनके लिए वह दौरा अर्थहीन था (दोनों अर्थों में)। बांग्लादेश ने 8 महीने पहले ऑस्ट्रेलिया को अपने घर मे हरा दिया था। तमीम इक़बाल, शाकिब अल हसन, मुशफिकुर रहमान जैसे खिलाड़ी क्या कम प्रतिभासम्पन्न हैं? लेकिन अब बेहद संभव है कि इनका कैरियर बिना ऑस्ट्रेलिया में खेले ही खत्म हो जाये? बताइये, किस खिलाड़ी का मन लॉर्ड्स, कैप्टाउन, मेलबोर्न, सिडनी, वानखेड़े, ईडन गार्डन्स इत्यादि विश्वविख्यात मैदानो में खेलने का नहीं होगा?
इसलिये आज हम आयरिश क्रिकेट के उन लड़ाकों का सम्मान करेंगे जिन्होंने आज का टेस्ट खेलने वाली 'सुनहरी' पीढ़ी को वह सपना देखने की हिम्मत दी। माइकल हैलिडे, एलन लेविस और एलेक्स रियार्डन। यह आयरलैंड के टेस्ट खेलने के पूर्व के दिनों के महानतम खिलाड़ी रहे हैं जिन्होंने एड जॉयस, ट्रेंट जोहनस्टोन, नाइल और केविन ब्रायन, बॉयड रैनकिन, विलियम पोर्टरफील्ड जैसे खिलाड़ियों को अपने खुद के देश के लिए खेलने का सपना दिखाया। एड जॉयस इंग्लैंड के लिए वनडे और रैनकिन टेस्ट खेल चुके हैं और आज इन दोनों के नाम एक और भी विशिष्ट उपलब्धि जुड़ जाएगी। इन सबकी उम्र 35 के आसपास या इससे ज्यादा है लेकिन इनका जज़्बा और हुनर शायद इन्हें कुछ और टेस्ट मैचेस खेलने का मौका दे दे।
आयरलैंड की इस 'गोल्डन जनरेशन' और उनकी भूतपूर्व खिलाड़ियों के हुनर और जज़्बे को हमारा और सारे विश्व के क्रिकेटप्रेमियों का सलाम!!!
क्रिकेट इतिहास में यह तारीख बेहद खास है। इस दिन वर्ल्ड कप इतिहास के दो सबसे बड़े उलटफेर हुए। बांग्लादेश, भारत को गुयाना में हरा रहा था और आयरलैंड, पाकिस्तान को जमैका में। वर्ल्ड कप के जो संयोजक थे, उनके हाथ-पाँव फूल रहे थे क्योंकि पाकिस्तान और भारत विश्व क्रिकेट की दो सबसे लोकप्रिय टीम्स थीं और एक ही शाम में दो बड़ी टीम्स का वर्ल्ड कप से बाहर हो जाना, तीसरे हार्ट अटैक का आना था। यह कहने की जरूरत नहीं कि आगे का वर्ल्ड कप कैसे बीता। वर्ल्ड कप इतिहास का सबसे बोरिंग और अलोकप्रिय संस्करण। रही-सही कसर अगले दिन 8 तारीख को पूरी हो गयी जब बॉब वूल्मर का शव उनके होटल कमरे से संदेहास्पद परिस्थितियों में मिला। पाकिस्तानी दोस्त तो बुरी तरह टूट गए थे, हमारा रहा-सहा हिसाब किताब 3 दिनों बाद श्रीलंका ने पूरा कर दिया।
लेकिन उस विश्व कप में कुछ नई बातें तो हुई ही जिसने विश्व क्रिकेट का इतिहास और नक्शा ही बदल दिया। बांग्लादेश ने ना केवल भारत को हराया बल्कि सुपर 8 में साउथ अफ्रीका को भी पीटा। आयरलैंड ने अपने राष्ट्रीय त्यौहार, सेंट पैट्रिक डे पर पाकिस्तान को हराया था। यह तारीख आयरिश कैलेंडर की सबसे महत्वपूर्ण तारिख होती है और उस दिन 2007 को आयरलैंड ने उसे और भी विशेष बना दिया। क्रिकेट दुनिया मे दो नए और प्रभावशाली देशों का अभ्युदय हो चुका था।
बात आज आयरलैंड की ही होगी।
अगर अगले कुछ घंटों में मौसम साफ हो गया तो मालाहाईड में आप आयरलैंड को अपना पहला टेस्ट मैच खेलते देखेंगे। 11 लोग अपनी कैप पहनेंगे और सैकड़ों की तादाद में पूर्व खिलाड़ी अपने आंखों में आंसू लिए उनके लिए ताली बजा रहे होंगे। आयरलैंड मात्र 11वां क्रिकेट राष्ट्र बन जायेगा आज। मात्र 11वाँ। क्रिकेट एक अतिविशिष्ट खेल है और केवल इसलिए नहीं कि इसको खेलने के लिए आपको अद्भुत प्रतिभा चाहिए होती है, नहीं। यह ऐसा इसलिए है क्योंकि क्रिकेट अभी भी औपनिवेशिक मानसिकता के साथ खेला जाता है और अब वह औपनिवेशिकता, अर्थ से जुड़ गई है। इसलिए भारत जैसा पूर्व गुलाम देश आज इसका सबसे बड़ा ठेकेदार बनकर बैठा हुआ है। भारत सर्वश्रेष्ठ क्रिकेट खेलने वाला देश नहीं है लेकिन उसके साथ सभी खेलना चाहते हैं। वे जीतें या भारत हारे, उन्हें फ़र्क़ नहीं पड़ता। बस पैसे आने चाहिए।
आयरलैंड, स्कॉटलैंड अभी तक टेस्ट क्रिकेट खेलने वाले देश नहीं बने क्योंकि अंग्रेजों ने उन्हें प्रताड़ित किया। जितना अंग्रेजों ने उन्हें प्रताड़ित किया है, शायद अपने किसी दूसरे उपनिवेश को नहीं किया। आज भारत और ऑस्ट्रेलिया जैसे पूर्व गुलाम देश भी अर्थ के आगे इन सब देशों के हित के लिए सामने नहीं आ रहे। नुकसान उन खिलाड़ियों का हो रहा है जिन्होंने अपने 15-20 साल इस खेल को दे दिये लेकिन एक अदद 'टेस्ट मैच' नहीं खेल पाए। ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड को छोड़कर जितने भी क्रिकेट खेलने वाले देश हैं, उन्हें अपना पहला टेस्ट मैच जीतने में दशकों लग गए। फिर आप कैसे इन देशों से उम्मीद कर सकते हैं कि यह अपने पहले कुछ मैचों में ही कुछ बेहद स्थापित देशों को हरा दें? अभी ऑस्ट्रेलिया ने बांग्लादेश को अपने यहाँ बुलाने से मना कर दिया क्योंकि उनके लिए वह दौरा अर्थहीन था (दोनों अर्थों में)। बांग्लादेश ने 8 महीने पहले ऑस्ट्रेलिया को अपने घर मे हरा दिया था। तमीम इक़बाल, शाकिब अल हसन, मुशफिकुर रहमान जैसे खिलाड़ी क्या कम प्रतिभासम्पन्न हैं? लेकिन अब बेहद संभव है कि इनका कैरियर बिना ऑस्ट्रेलिया में खेले ही खत्म हो जाये? बताइये, किस खिलाड़ी का मन लॉर्ड्स, कैप्टाउन, मेलबोर्न, सिडनी, वानखेड़े, ईडन गार्डन्स इत्यादि विश्वविख्यात मैदानो में खेलने का नहीं होगा?
इसलिये आज हम आयरिश क्रिकेट के उन लड़ाकों का सम्मान करेंगे जिन्होंने आज का टेस्ट खेलने वाली 'सुनहरी' पीढ़ी को वह सपना देखने की हिम्मत दी। माइकल हैलिडे, एलन लेविस और एलेक्स रियार्डन। यह आयरलैंड के टेस्ट खेलने के पूर्व के दिनों के महानतम खिलाड़ी रहे हैं जिन्होंने एड जॉयस, ट्रेंट जोहनस्टोन, नाइल और केविन ब्रायन, बॉयड रैनकिन, विलियम पोर्टरफील्ड जैसे खिलाड़ियों को अपने खुद के देश के लिए खेलने का सपना दिखाया। एड जॉयस इंग्लैंड के लिए वनडे और रैनकिन टेस्ट खेल चुके हैं और आज इन दोनों के नाम एक और भी विशिष्ट उपलब्धि जुड़ जाएगी। इन सबकी उम्र 35 के आसपास या इससे ज्यादा है लेकिन इनका जज़्बा और हुनर शायद इन्हें कुछ और टेस्ट मैचेस खेलने का मौका दे दे।
आयरलैंड की इस 'गोल्डन जनरेशन' और उनकी भूतपूर्व खिलाड़ियों के हुनर और जज़्बे को हमारा और सारे विश्व के क्रिकेटप्रेमियों का सलाम!!!
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