'नेशनल स्पेलिंग बी' प्रतियोगिता में भारतीयों का दबदबा और भारत सरकार की 'ब्रेन-ड्रेन' रोकने की नाकामी
एक ओर जहाँ बांग्लादेश वीमेन टीम ने भारतीय टीम तो एक ही प्रतियोगिता में दो बार हराकर मूड ऑफ कर दिया (बांग्लादेश हालाँकि दोनों ही मैचों में हमसे बीस था और अच्छा खेला), वहीं अभी मैंने नेशनल स्पेलिंग बी प्रतियोगिता में, जो हर साल अमेरिका में आयोजित होती है, चार भारतवंशियों को सेमीफाइनल राउंड में जगह बनाते देखा। यह रिपीट टेलीकास्ट था। मैंने पहले 2 राउंड्स देखे थे लेकिन इसका समापन इतना शानदार होगा भारतीय डायस्पोरा के लिए, विश्वास नहीं था। पिछले 6-7 वर्षों में तो भारतवंशियों ने बिल्कुल वर्चस्व स्थापित किया है इस बेहद प्रतिष्ठित प्रतियोगिता में और उनके सामने कोई टिक ही नहीं पाता।
चारों प्रतियोगी डलास (टेक्सास) राज्य से थे और जब कमेंटेटर ने इस बात की सूचना दी तो एक बार को दिल बैठ गया। इनकी प्रतिभा भारत की स्वाभाविक संपत्ति थी लेकिन उचित सुविधाओं और मौकों के अभाव में अब ये हमारे साथ नहीं हैं। अब ये अमेरिका की शान आगे आने वाले कई सालों तक बढ़ाएंगे और हम इन्हें टीवी पर देखकर बेहद आह्लादित और थोड़े दुखी होंगे। अभी यह भी पता चला कि करीब साढ़े 3 लाख ऍप्लिकेशन्स अमेरिका के नागरिकता विभाग को अमेरिकन नागरिक बनने के लिए विभिन्न देशों के नागरिकों से मिले हैं और उसमें से तीन लाख पांच हज़ार केवल भारत से हैं। चीन दूसरे नम्बर पर है 60,000 ऍप्लिकेशन्स के साथ और पाकिस्तान से एक भी व्यक्ति अमेरिकन नागरिकता के लिए उत्सुक नहीं है।
आंकड़ों पर गौर करिये और सोचिए कि भारत सरकार आज़ादी के 70 वर्षों बाद भी इस 'ब्रेन-ड्रेन' को क्यों नहीं रोक पा रही.....
चारों प्रतियोगी डलास (टेक्सास) राज्य से थे और जब कमेंटेटर ने इस बात की सूचना दी तो एक बार को दिल बैठ गया। इनकी प्रतिभा भारत की स्वाभाविक संपत्ति थी लेकिन उचित सुविधाओं और मौकों के अभाव में अब ये हमारे साथ नहीं हैं। अब ये अमेरिका की शान आगे आने वाले कई सालों तक बढ़ाएंगे और हम इन्हें टीवी पर देखकर बेहद आह्लादित और थोड़े दुखी होंगे। अभी यह भी पता चला कि करीब साढ़े 3 लाख ऍप्लिकेशन्स अमेरिका के नागरिकता विभाग को अमेरिकन नागरिक बनने के लिए विभिन्न देशों के नागरिकों से मिले हैं और उसमें से तीन लाख पांच हज़ार केवल भारत से हैं। चीन दूसरे नम्बर पर है 60,000 ऍप्लिकेशन्स के साथ और पाकिस्तान से एक भी व्यक्ति अमेरिकन नागरिकता के लिए उत्सुक नहीं है।
आंकड़ों पर गौर करिये और सोचिए कि भारत सरकार आज़ादी के 70 वर्षों बाद भी इस 'ब्रेन-ड्रेन' को क्यों नहीं रोक पा रही.....
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