भारत फ्राँस को पिछाड़कर दुनिया की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का स्वामी बन गया। कल रूस के नेशनल टीवी के मीडिया आउटलेट ने इसपर एक स्टोरी चलाई और उसपर कोई फ़िल्टर अप्लाई नहीं किया। रूस वाले सकारात्मक थे जैसे कि उम्मीद थी लेकिन उन्होंने कुछ सुझाव भी दिए। इंग्लैंड और फ्राँस वाले बेहद आक्रामक ढंग से इसपर प्रतिक्रिया दिए। पाकिस्तानियों से कोई उम्मीद नहीं थी, सो उन्होंने मुझे निराश भी नहीं किया। लेकिन कुछ निष्कर्ष उस पूरी कहानी से निकले जिसे आपके साथ साझा करने का मेरा मन है....
1. छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का टैग यह सच्चाई नहीं छुपा सकता कि भारत मे अमीरों और गरीबों के मध्य की खाई चौड़ी होती जा रही।
2. प्रति व्यक्ति आय भारत की मात्र 1700 डॉलर है जबकि फ्राँस की 34,000 डॉलर। प्रति व्यक्ति आय ही अर्थव्यवस्था की प्रगति का सही संसूचक होता है। अतः हमें काफी फासला तय करना है।
3. आज़ादी के मात्र 70 सालों बाद ही हमने दुनिया को अपनी पहचान दिखा दी है। यह हमारी काबिलियत का प्रमाण है। यहाँ यह बात गौर करने लायक है कि इंग्लैंड ने हमें प्रथम औद्योगिक क्रांति के फायदे से महरूम रखा लेकिन तब भी हमने अपनी सूचना प्रौद्योगिकी और अथक परिश्रम के दम पर उनकी बराबरी कई पैमानों पर कर ली।
4. अंतिम निष्कर्ष कुछ इंग्लिश, फ्रेंच और पाकिस्तानी दोस्तों के सुझावों से निकलता है। हम दुनिया के 'रेप कैपिटल' हैं। एक बहुत बड़ी हमारी आबादी महानगरों के स्लम्स में रहती है और सबसे शर्मनाक बात कि हमारे पास 'शौचालय' या 'प्रसाधन घर' सार्वजनिक स्थानों पर बेहद कम हैं। हम इन तथ्यों से मुँह नहीं मोड़ सकते। अगर आप अपनी उपलब्धियों पर गर्वान्वित हैं तो इन कटु सत्यों को भी स्वीकारना होगा।
शेष भविष्य के गर्त में लेकिन उस भविष्य को उज्ज्वल बनाने की ज़िम्मेदारी हमारी......
1. छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का टैग यह सच्चाई नहीं छुपा सकता कि भारत मे अमीरों और गरीबों के मध्य की खाई चौड़ी होती जा रही।
2. प्रति व्यक्ति आय भारत की मात्र 1700 डॉलर है जबकि फ्राँस की 34,000 डॉलर। प्रति व्यक्ति आय ही अर्थव्यवस्था की प्रगति का सही संसूचक होता है। अतः हमें काफी फासला तय करना है।
3. आज़ादी के मात्र 70 सालों बाद ही हमने दुनिया को अपनी पहचान दिखा दी है। यह हमारी काबिलियत का प्रमाण है। यहाँ यह बात गौर करने लायक है कि इंग्लैंड ने हमें प्रथम औद्योगिक क्रांति के फायदे से महरूम रखा लेकिन तब भी हमने अपनी सूचना प्रौद्योगिकी और अथक परिश्रम के दम पर उनकी बराबरी कई पैमानों पर कर ली।
4. अंतिम निष्कर्ष कुछ इंग्लिश, फ्रेंच और पाकिस्तानी दोस्तों के सुझावों से निकलता है। हम दुनिया के 'रेप कैपिटल' हैं। एक बहुत बड़ी हमारी आबादी महानगरों के स्लम्स में रहती है और सबसे शर्मनाक बात कि हमारे पास 'शौचालय' या 'प्रसाधन घर' सार्वजनिक स्थानों पर बेहद कम हैं। हम इन तथ्यों से मुँह नहीं मोड़ सकते। अगर आप अपनी उपलब्धियों पर गर्वान्वित हैं तो इन कटु सत्यों को भी स्वीकारना होगा।
शेष भविष्य के गर्त में लेकिन उस भविष्य को उज्ज्वल बनाने की ज़िम्मेदारी हमारी......
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